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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि उ प्र जल निगम कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति देयों का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। वर्षो बाद भी भुगतान न होने से कोर्ट इस मामले को लेकर सख्त है। अदालत ने अपर मुख्य सचिव वित्त ,प्रमुख सचिव नगर विभाग, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक उ प्र जल निगम को दो सप्ताह के भीतर बैठ कर निगम कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान का समाधान निकालने का निर्देश दिया है।साथ ी अपर मुख्य सचिव वित्त व अध्यक्ष जल निगम उ प्र से से आठ अप्रैल तक की गई कार्यवाही की जानकारी भी मांगी है।यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने जय मूर्ति देवी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जल निगम एक वैधानिक संस्था है।वह अपने कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयों का भुगतान रोक कर नहीं रख सकती।ऐसा करना सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने से इंकार करने जैसा है। कोर्ट ने कहा कि सामान्यतया राज्य सरकार व जल निगम के बीच के कार्यो से कोर्ट का कोई सरोकार नही होता।लेकिन जल निगम कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयों के भुगतान के लिए प्रतिदिन हाईकोर्ट में 8 से10 याचिकाएं दाखिल हो रही है।और कोर्ट भुगतान का आदेश देकर याचिका निस्तारित कर रही है।इसी मामले में विधवा को पति के देयों का चार साल बीतने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया।बताया गया कि सरकार ने जल निगम के हजारों करोड़ के फंड नहीं दिए है।पांच माह के बाद ही कर्मचारियों की पेंशन दी जा रही है। सरकार ने जलनिगम से जो कार्य कराए हैं ,उसका भी भुगतान नहीं हो पा रहा है।इस पर कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव वित्त को पक्षकार बनाते हुए मुख्य सचिव से कहा है कि सरकारी अधिकारियों को निगम को फंड भेजने का निर्देश दे ताकि बिना देरी किए कर्मचारियों के बकाये का भुगतान सुनिश्चित हो सके।याची के पति जल निगम में हेड क्लर्क थे।सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई।और निगम फंड की कमी का बहाना बना चार साल बाद भी विधवा को ग्रेच्युटी,बीमा,बकाया वेतन,भत्ते आदि का भुगतान नहीं कर सका। निगम का कहना है फंड समय से न मिलने से कर्मचारियो के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।पांच माह बाद पेंशन दी जा रही है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि उ प्र जल निगम कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति देयों का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। वर्षो बाद भी भुगतान न होने से कोर्ट इस मामले को लेकर सख्त है। अदालत ने अपर मुख्य सचिव वित्त ,प्रमुख सचिव नगर विभाग, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक उ प्र जल निगम को दो सप्ताह के भीतर बैठ कर निगम कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान का समाधान निकालने का निर्देश दिया है।साथ ी अपर मुख्य सचिव वित्त व अध्यक्ष जल निगम उ प्र से से आठ अप्रैल तक की गई कार्यवाही की जानकारी भी मांगी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने जय मूर्ति देवी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जल निगम एक वैधानिक संस्था है।वह अपने कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयों का भुगतान रोक कर नहीं रख सकती।ऐसा करना सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने से इंकार करने जैसा है। कोर्ट ने कहा कि सामान्यतया राज्य सरकार व जल निगम के बीच के कार्यो से कोर्ट का कोई सरोकार नही होता।लेकिन जल निगम कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयों के भुगतान के लिए प्रतिदिन हाईकोर्ट में 8 से10 याचिकाएं दाखिल हो रही है।और कोर्ट भुगतान का आदेश देकर याचिका निस्तारित कर रही है।
इसी मामले में विधवा को पति के देयों का चार साल बीतने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया।बताया गया कि सरकार ने जल निगम के हजारों करोड़ के फंड नहीं दिए है।पांच माह के बाद ही कर्मचारियों की पेंशन दी जा रही है। सरकार ने जलनिगम से जो कार्य कराए हैं ,उसका भी भुगतान नहीं हो पा रहा है।इस पर कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव वित्त को पक्षकार बनाते हुए मुख्य सचिव से कहा है कि सरकारी अधिकारियों को निगम को फंड भेजने का निर्देश दे ताकि बिना देरी किए कर्मचारियों के बकाये का भुगतान सुनिश्चित हो सके।
याची के पति जल निगम में हेड क्लर्क थे।सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई।और निगम फंड की कमी का बहाना बना चार साल बाद भी विधवा को ग्रेच्युटी,बीमा,बकाया वेतन,भत्ते आदि का भुगतान नहीं कर सका। निगम का कहना है फंड समय से न मिलने से कर्मचारियो के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।पांच माह बाद पेंशन दी जा रही है।
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