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Editorial :- अगर राम और कृष्ण की आलोचना की जा सकती है, तो मोदी गांधी या मंडेला की क्यों नहीं?

18 May 2019

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों से साबित होता है कि हिंदू भी हिंसक हो सकते हैं।  यह बात उन्होंने एक सप्ताह पूर्व  भोपाल में दिग्विजय सिंह की उपस्थिति में चुनाव प्रचार के दरमियान कही।
येचुरी ने रामायण और महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि आरएसएस प्रचारक एक तरफ इन महाकाव्यों का उदाहरण देते हैं और फिर कहते हैं कि हिंदू हिंसक नहीं हो सकते। इसके पीछे क्या तर्क है? एक धर्म है जो हिंसा में शामिल है और हम हिंदू कहते हैं हम ऐसे नहीं हैं।  
यूपीए शासनकाल में सोनिया गांधी के निर्देश पर क्रिस्चियन अंबिका सोनी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम मिथक हैं, काल्पनिक हैं।
इसी प्रकार से एक मुस्लिम तथाकथित लेखक ने अपने पुस्तक में यहॉ तक कह डाला कि राम जन्म भूमि पाकिस्तान में है।
कहने का तात्पर्य यह है कि राम और कृष्ण की आलोचना का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में आता है तो चाहे मोदी हो या राजीव गांधी या महात्मा गांधी हों या मंडेला उनकी आलोचना क्यों नही हो सकती?
आलोचना ऐसी होनी चाहिये जो तथ्यों पर आधारित हो और किसी की भावनाओं को जानबुझकर आहत करने की हो।
कोई व्यक्ति जीवन में कई काम देशभक्ति के कर सकता है पर वही व्यक्ति किसी की महान व्यक्ति की हत्या भी करे तो वह कार्य देशभक्ति नहीं कहलाएगा।
राजीव गाँधी और मुलायम ने जीवन भर देशभक्ति के कार्य किये होंगे पर बड़ा  पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है, इंदिरा गांधी  की हत्या हो जाने के बाद यह कहना और फिर इससे लोगों का गुस्से में आकर सिक्खों का नरसंहार करना देशभक्ति का कार्य नहीं कहलाया जा सकता। इसी प्रकार से रामभक्तों कारसेवकों पर गोली चलवाना देशभक्ति नहीं।
शहीद हैं हेमंत करकरे, पर एटीएस चीफ की भूमिका पर शक: सुमित्रा महाजन
हेमंत करकरे पर लोकसभा स्पीकर और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता सुमित्रा महाजन ने कुछ दिनों पूर्व हेमंत करकरे की एटीएस प्रमुख की भूमिका पर सवाल उठाए थे।
कथित रूप से दिवंगत एटीएस चीफ हेमंत करकरे कांग्रेस के संरक्षण में काम कर रहे थे और वह दिग्विजय सिंह के बेहद खास थे।
महात्मा गांधी के प्रपौत्र राजमोहन गांधी ने अपनी पुस्तक में महात्मा गांधी और सरला चौधरी के बीच लव अफेयर के संबंध में विस्तार से लिखा है।
महात्मा गांधी, पंडित नेहरू मंडेला जैसे अनेक महापुरूषों के लव अफेयर्स को हमारे यहॉ के कई महान बुद्धिजीवी अध्यात्मिक प्रेम की संज्ञा देते हैं।
पर इस प्रकार के लव अफेयर्स की चर्चा तो होगी ही, आलोचना तो होगी ही।
अनिल सौमित्र का महात्मा गांधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपति कहना बहुत ही अनुचित है, इससे हर एक  के भावनाओं को चोट पहुंची है।
परंतु उसने स्वयं कहा है कि वह गांधी के विचारों से प्रभावित है और उनके ही विचारों का अनुकरण करता है। क्या उनका यह कहना भी अनुचित है?
नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की  इसे प्रज्ञा भारती ने उचित कह कर अनुचित कार्य किया है।  
परंतु इसका मतलब यह तो नहीं कि साध्वी प्रज्ञा को एटीएस पद पर रहते हुए यूपीए सरकार के निर्देश पर जो यातना दी गई थी वह भी देशभक्ति थी?
क्या साध्वी प्रज्ञा का धर्ममय संत जीवन देशसेवा नहीं है? इस संबंध में राजीव गांधी और मुलायम सिंह यादव की भी चर्चा हो चुकी है।
राजीव गांधी की हत्या में शामिल एक महिला  जो अभी जेल में बंद है उससे मिलने प्रियंका गांधी क्यों गई थी?