आपरेशन नेस्तनाबूद : साहित्यकार प्रो. अली अहमद फातमी के मकान को गिराने के लिए पीडीए ने भेजा नोटिस – Lok Shakti

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आपरेशन नेस्तनाबूद : साहित्यकार प्रो. अली अहमद फातमी के मकान को गिराने के लिए पीडीए ने भेजा नोटिस

prayagraj news : प्रो. अली अहमद फातमी का मकान, जिसे तोड़ने के लिए पीडीए ने नोटिस दी है।
– फोटो : prayagraj

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माफिया कार्रवाई की जद में लूकरगंज के उस बंगले में जिन लोगों के मकान हैं या थे, उनमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ऊर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष और साहित्यकार अली अहमद फातमी का भी मकान है। प्रोफेसर फातमी के मुताबिक पीडीए की ओर से उनके साथ अन्य लोगों को शनिवार शाम अवैध निर्माण और ध्वस्तीकरण की नोटिस दी गई। रविवार को अफसर पुलिस के साथ मकान गिराने आ गए। उन्हें बताया गया कि हमने जमीन करीब 35 साल पहले पट्टेदार से खरीदकर मकान बनवाया है, लेकिन किसी ने एक न सुनीं।
प्रोफेसर फातमी ने बताया कि माफिया कार्रवाई के नाम पर शरीफ शहरियों पर सितम किया जा रहा है। हमने जमीन खरीदकर मकान ही नहीं बनवाया बल्कि फ्री होल्ड की औपचारिकताएं पूरी कीं। शासन के निर्देश के मुताबिक जमीन फ्री होल्ड कराने के लिए 25 प्रतिशत रकम भी सरकारी खजाने में जमा की। प्रशासन ने जमीन तो फ्री होल्ड की नहीं, अब सिर से छत हटाने की जिद पर अफसर अड़े  हैं। यही नहीं मकान तोड़ने के साथ कहा गया कि ध्वस्तीकरण का खर्च भी वसूलेंगे। उन्होंने बताया कि जोनल अधिकारी आलोक पांडेय से स्थिति बयान की तो उन्होंने सोमवार सुबह तक सामान हटाने को कहा है।
ध्वस्तीकरण रोकने से उन्होंने मना कर दिया है। बेटी का घर टूटा तो सन्न रह गए प्रोफेसर फातमी प्रोफेसर फातमी प्रशासन और पीडीए की कार्रवाई से इतना दुखी हैं कि शाम को उनके बोल नहीं फूट रहे थे। उन्होेंने बताया कि बड़ी बेटी अब्बा-अम्मी की सरपरस्ती में रहने को बच्चों के साथ विदेश से यहां आ गई। घर के पास ही जमीन खरीद कर मकान बनवाया। आज उनका आशियाना ध्वस्त कर दिया गया। अब वह बेटी और नाती, नतिनि से आंख नहीं मिला पा रहे हैं। वह उनके साथ हैं पर कल कहां जाएंगे पता नहीं, दुखी मन से उन्होंने कहा कि माफिया और शिक्षक में अंतर होता है, यह अफसरों को समझना चाहिए। हम ही नहीं यहां रहने वाले से अतीक का संबंध ही नहीं है। जिस समय जमीन खरीदी मकान बनवाया तब न अतीक थे और न ही पीडीए का अस्तित्व था। 
शिष्यों ने हटाईं लाइब्रेरी से पुस्तकें, अभी आलमारी लगी हैंफोफेसर फातमी के घर में पुस्तकों की समृद्ध लाइब्रेरी है। साहित्यकार हैं और उर्दू के विद्वान सो भाषा ही नहीं दुलर्भ पुस्तकों के संग्रह को उन्होंने घर के एक हिस्से में लाइब्रेरी का स्वरूप दिया। गुरुजी के मकान को गिराने की खबर पाकर उनके पास कई शिष्य पहुंच गए। धीरे-धीरे पुस्तकों को सुरक्षित कर हटाया गया। अभी मौके पर आलमारियां बची हैं। प्रोफेसर फातमी ने कहा कि कल का पता नहीं अफसर जबरदस्ती पर उतारू हैं, पुलिस भी उनके साथ हैं। बड़े अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। ध्वस्तीकरण हुआ तो हम परिवार सहित बेघर हो जाएंगे।  
लूकरगंज में नजूल भूमि पर कब्जा हटाया जा रहा है। इस जमीन पर माफिया अतीक ने घोड़ों का अस्तबल बनाया था। इस जमीन पर अन्य लोग भी काबिज हैं। सभी ने अवैध निर्माण कराए हैं। सोमवार को भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रस्तावित है। -आलोक पांडेय, जोनल अधिकारी-प्रवर्तन दल प्रभारी पीडीए

माफिया कार्रवाई की जद में लूकरगंज के उस बंगले में जिन लोगों के मकान हैं या थे, उनमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ऊर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष और साहित्यकार अली अहमद फातमी का भी मकान है। प्रोफेसर फातमी के मुताबिक पीडीए की ओर से उनके साथ अन्य लोगों को शनिवार शाम अवैध निर्माण और ध्वस्तीकरण की नोटिस दी गई। रविवार को अफसर पुलिस के साथ मकान गिराने आ गए। उन्हें बताया गया कि हमने जमीन करीब 35 साल पहले पट्टेदार से खरीदकर मकान बनवाया है, लेकिन किसी ने एक न सुनीं।

prayagraj news : प्रो. अली अहमद फातमी का मकान, जिसे तोड़ने के लिए पीडीए ने नोटिस दी है।
– फोटो : prayagraj

प्रोफेसर फातमी ने बताया कि माफिया कार्रवाई के नाम पर शरीफ शहरियों पर सितम किया जा रहा है। हमने जमीन खरीदकर मकान ही नहीं बनवाया बल्कि फ्री होल्ड की औपचारिकताएं पूरी कीं। शासन के निर्देश के मुताबिक जमीन फ्री होल्ड कराने के लिए 25 प्रतिशत रकम भी सरकारी खजाने में जमा की। प्रशासन ने जमीन तो फ्री होल्ड की नहीं, अब सिर से छत हटाने की जिद पर अफसर अड़े  हैं। यही नहीं मकान तोड़ने के साथ कहा गया कि ध्वस्तीकरण का खर्च भी वसूलेंगे। उन्होंने बताया कि जोनल अधिकारी आलोक पांडेय से स्थिति बयान की तो उन्होंने सोमवार सुबह तक सामान हटाने को कहा है।

prayagraj news : प्रो. अली अहमद फातमी का मकान, जिसे तोड़ने के लिए पीडीए ने नोटिस दी है।
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ध्वस्तीकरण रोकने से उन्होंने मना कर दिया है। बेटी का घर टूटा तो सन्न रह गए प्रोफेसर फातमी प्रोफेसर फातमी प्रशासन और पीडीए की कार्रवाई से इतना दुखी हैं कि शाम को उनके बोल नहीं फूट रहे थे। उन्होेंने बताया कि बड़ी बेटी अब्बा-अम्मी की सरपरस्ती में रहने को बच्चों के साथ विदेश से यहां आ गई। घर के पास ही जमीन खरीद कर मकान बनवाया। आज उनका आशियाना ध्वस्त कर दिया गया। अब वह बेटी और नाती, नतिनि से आंख नहीं मिला पा रहे हैं। वह उनके साथ हैं पर कल कहां जाएंगे पता नहीं, दुखी मन से उन्होंने कहा कि माफिया और शिक्षक में अंतर होता है, यह अफसरों को समझना चाहिए। हम ही नहीं यहां रहने वाले से अतीक का संबंध ही नहीं है। जिस समय जमीन खरीदी मकान बनवाया तब न अतीक थे और न ही पीडीए का अस्तित्व था। 

शिष्यों ने हटाईं लाइब्रेरी से पुस्तकें, अभी आलमारी लगी हैं
फोफेसर फातमी के घर में पुस्तकों की समृद्ध लाइब्रेरी है। साहित्यकार हैं और उर्दू के विद्वान सो भाषा ही नहीं दुलर्भ पुस्तकों के संग्रह को उन्होंने घर के एक हिस्से में लाइब्रेरी का स्वरूप दिया। गुरुजी के मकान को गिराने की खबर पाकर उनके पास कई शिष्य पहुंच गए। धीरे-धीरे पुस्तकों को सुरक्षित कर हटाया गया। अभी मौके पर आलमारियां बची हैं। प्रोफेसर फातमी ने कहा कि कल का पता नहीं अफसर जबरदस्ती पर उतारू हैं, पुलिस भी उनके साथ हैं। बड़े अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। ध्वस्तीकरण हुआ तो हम परिवार सहित बेघर हो जाएंगे। 
 
लूकरगंज में नजूल भूमि पर कब्जा हटाया जा रहा है। इस जमीन पर माफिया अतीक ने घोड़ों का अस्तबल बनाया था। इस जमीन पर अन्य लोग भी काबिज हैं। सभी ने अवैध निर्माण कराए हैं। सोमवार को भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रस्तावित है। -आलोक पांडेय, जोनल अधिकारी-प्रवर्तन दल प्रभारी पीडीए