छत्तीसगढ़ के सरकारी बिजली कंपनी के कर्मचारी संगठनों ने प्रदेश में बिजली सेक्टर के निजीकरण की आशंका व्यक्त की है। कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर इसका विरोध किया है। समिति ने देश के विभिन्न् राज्यों में इस तरह के प्रयोगों के असफल रहने का हवाला देते हुए सीएम से ऐसा नहीं करने का आग्रह किया है।
इधर, कंपनी प्रबंधन ने दो टूक कहा है कि कंपनी के काम की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है। बिजली कंपनियों के निजीकरण जैसा कोई भी प्रस्ताव राज्य सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। बिजली कंपनियों के अध्यक्ष अंकित आनंद की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि प्रदेश की बिजली कंपनियां राज्य सरकार के अधीन प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
कंपनी के निजीकरण संबंधी खबरों को उन्होंने भ्रामक करार देते हुए बताया कि बलौदाबाजार सहित प्रदेश के किसी भी क्षेत्र की बिजली व्यवस्था संबंधी कार्यों को फ्रेंचाइजी (निजी हाथों) पर देने के संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। बिजली कंपनियों के अध्यक्ष अंकित आनंद ने बताया कि राज्य सरकार की रीति-नीति के अनुरूप प्रदेश के विभिन्न् श्रेणी के करीब 56 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को संतोषप्रद सेवाएं बिजली कंपनियां दे रहीं है।
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