सरगुजा के पोतका गांव के श्री दिका प्रसाद के भोजन और जिंदगी, दोनों का स्वाद अब बदल गया है। जीवन साथी श्रीमती लक्ष्मनिया के हाथों की बनी तरकारी में अब उन्हें पहले से कहीं अधिक स्वाद और आनंद आने लगा है। और आए भी क्यों न! आखिरकार ये तरकारियां उनकी अपनी बाड़ी की जो हैं, जिन्हें पहली बार दिका प्रसाद ने लक्ष्मनिया के साथ मिलकर उगाया है और मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बने अपने कुएं के पानी से सींचा व संवारा है। मनरेगा से घर की बाड़ी में कुआं खुदाई के बाद से इस परिवार की जिंदगी बदल गई है। अब दिका प्रसाद सब्जी उत्पादक किसान कहलाने लगे हैं।
सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखण्ड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पोतका के किसान दिका प्रसाद और लक्ष्मनिया अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं। उनके जीवन में आए इस बदलाव की शुरुआत करीब दो साल पहले हुई थी। कुआं खुदाई के पहले वे अपने घर से लगे दो एकड़ खेत में खरीफ सीजन में केवल परिवार के खाने लायक धान उगा पाते थे। सिंचाई का कोई साधन नहीं होने के कारण बांकी समय यह जमीन खाली पड़ी रहती थी। पूरे परिवार के लिए रोजमर्रा के पानी की जरूरतों के लिए लक्ष्मनिया को काफी मशक्कत भी करनी पड़ती थी। उसे सुबह-शाम घर से 300 मीटर दूर सार्वजनिक हैंडपंप से पानी भरना पड़ता था।
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