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मुफ्त मोबाइल फोन और टिफिन के बाद अब बिजली भी फ्री में देगी छत्तीसगढ़ की रमन सरकार

लगातार तीन बार से छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज राज्य की रमन सिंह सरकार ने चुनावी साल में तिजोरी खोल दी है. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 12 लाख बीपीएल परिवारों को 40 यूनिट तक मुफ्त बिजली और उसके बाद 100 रुपये महीने की दर से मनचाही बिजली देने की घोषणा की है.
इसके पहले मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 5 हॉर्स पावर तक के कृषि पंपों को भी मुफ्त बिजली मुहैया कराने का ऐलान किया था. एक निश्चित स्लैब के बाद ऐसे किसानों को भी मात्र 100 रुपये की दर से बिजली मुहैया कराई जाने लगी है. BPL परिवारों को इस तरह से हर माह मुफ्त बिजली मुहैया कराने से सरकार को प्रतिमाह लगभग 500 करोड़ की चपत लगेगी. जबकि किसानों को मुहैया कराई जा रही मुफ्त बिजली से लगभग 700 करोड़ प्रतिमाह का अतरिक्त भार छत्तीसगढ़ राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड को उठाना पड़ रहा है.
बीजेपी का बड़ा चुनावी दांव
विधानसभा चुनाव के महीने भर पहले BPL परिवारों के लिए इस फैसले को बीजेपी का बड़ा चुनावी दांव माना जा रहा है. सरकार ने इस योजना के तहत बिजली का लाभ उठाने वाले परिवारों को दो विकल्प दिए हैं. पहले विकल्प में पुरानी योजना के तहत 40 यूनिट बिजली वे फ्री ले सकते हैं. जबकि दूसरे विकल्प के तौर पर उन्हें 100 रुपये महीना देकर मनमाफिक बिजली मुहैया होगी. BPL परिवारों को दोनो योजनाओ में से किसी एक योजना का चयन करना होगा.
विधानसभा चुनाव के पहले लागू हुई इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 5 सितंबर 2018 से पुनरीक्षित बिल वितरण शिविर लगाए जाएंगे. इन शिविरों में बिजली कर्मचारी, उपभोक्ताओं से बिजली कनेक्शन के आवेदन भी लेंगे.
मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक इस योजना में साल 2002 की BPL सूची और 2011 की सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर परिवारों को शामिल किया गया है. उनके मुताबिक इससे लगभग 500 करोड़ का वित्तीय भार हर माह सरकार पर आएगा.
इससे पहले मुख्यमंत्री रमन सिंह राज्य की एक बड़ी आबादी को मुफ्त मोबाइल फोन और टिफिन दे चुके है. 55 लाख BPL परिवारों को मुफ्त मोबाइल फोन और लगभग 12 लाख मनरेगा मजदूरों को मुफ्त टिफिन बांटने से सरकार पर 23 अरब से ज्यादा का वित्तीय भार पड़ा है.
पशोपेश में कांग्रेस
उधर, मुख्यमंत्री रमन सिंह की तिजोरी खुलने से कांग्रेस पशोपेश में है, लेकिन एक बड़ी आबादी को मुफ्त सुविधा मिलने का विरोध नहीं कर पा रही. वोट बैंक के खतरे को देखते हुए मुफ्त वितरण योजनाओं पर कांग्रेस खामोश है. पार्टी अन्य मुद्दों की तरह खुल कर इसका विरोध नहीं कर पा रही है.
बढ़ेगी मुफ्तखोरी
राज्य की कई स्वयंसेवी संस्थाओं और संगठनों ने सरकारी तिजोरी से बहाए जा रहे धन को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह पर सरकारी धन का बेजा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
स्वाभिमान छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अनिल दुबे की दलील है कि चुनावी फायदे के लिए करदाताओं के सरकारी धन का उपयोग विकास कार्यों के बजाए वोट जुगाड़ करने में लगाया जा रहा है. इससे राज्य में मुफ्तखोरी की भावना पैदा होगी. उनके मुताबिक इस तरह से एक बड़े वर्ग को बीजेपी निकम्मा बना रही है.