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तुर्की के शिकार का समय हो गया है

RAW-MOSSAD-SIA Vs TURKEY – AAMIR

22 aug 2020

तुर्की की वर्तमान अवस्था बहुत बुरी है और ऐसा लगता है कि अभी तुर्की की समस्याएँ और बढऩे वाली है, क्योंकि उसकी हठधर्मिता के कारण जल्द ही हमें इजऱायल, यूएई और भारत के बीच एक रणनीतिक साझेदारी उभरती हुई दिख सकती है।

अब जितना खतरा तुर्की से यूएई और इजऱायल को है, उतना ही खतरा तुर्की से भारत को भी है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है कि तुर्की पिछले कुछ समय से भारतीय मुसलमानों को भारत के विरुद्ध भड़काने में लगा हुआ है।

तुर्की से कांग्रेस और आमिर को प्यार क्यों?

पर भारत के कांग्रेस पार्टी के नेताओं और आमिर खान जैसे बॉलीवुडी को तुर्की ही पसंद है। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का कार्यालय राहुल गांधी ने तुर्की में इसीलिये खुलवाया है। आमिर खान भी अभी तुर्की में तुर्की की फस्र्ट लेडी से मुलाकात की है।

तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन जब पाक में गये थे तब इमरान खान ने कहा था कि वे पाकिस्तान  में चुनाव जीत सकते हैं और इमरान खान हार सकते हैं। इसके बाद यह भी चर्चा मीडिया में हुई कि राहुल गांधी भी यदि पाकिस्तान में चुनाव लड़ें तो वे इमरान खान और आर्दिआन दोनों को  हरा सकते हैं।

यहॉ यह उल्लेखनीय है कि तुर्की के राष्ट्रपति ने अपनी पत्नी की उपस्थिति में कहा, सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए हैं महिलाएं।

राहुल गाध्ंाी जैसे ही आमिर खान को भी तुर्की पसंद है क्योंकि तुर्की और मलेशिया तथा पाकिस्तान ही ऐसे देश हैं जो कश्मीर के मुद्दे पर भी भारत के विरूद्ध हैं। राहुल गांधी भी अपनी कांग्रेस को कांग्रेस के मुद़्दे पर भारत सरकार के विरूद्ध में खड़ी कर चुके हैं।

Kreately वेबसाइट ने बताया है कि जाकिर नाईक से ज्यादा खतरनाक क्यों है आमिर? इस वेबसाईट की विस्तृत रिपोर्ट इस संपादकीय पृष्ठ में अलग से है।

जाकिर नाइक से ज्यादा खतरनाक क्यों हैं आमिर?

http://https//kreately.in/aamirbiggerdangerthanzakirnaik/#

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की पत्नी से मुलाकात के बाद एक बार अभिनेता आमिर खान सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर ये बहस शुरू हो गई है कि आमिर खान अपना एजेंडा चलाते हैं। उनके पुराने बयानों और कामों के देखते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई प्रकार के तर्क दिए जा रहे हैं।

Kreately बेबसाइट के मुताबिक आमिर खान हिन्दुओं के खिलाफ एजेंडा चलाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अभिनेता आमिर खान दावा करते हैं कि उनकी फिल्म दंगल, चीन में काफी मशहूर हुई। दबंग फिल्म ने चीन में 1500 करोड़ रुपये की कमाई की जबकि भारत में दंगल फिल्म की कमाई 387 करोड़ थी। ब्लॉकबस्टर फिल्म बाहुबली-2 ने भारत में 1429 करोड़ रुपए की कमाई की थी। आमिर खान का दावा है कि वे सीक्रेट सुपरस्टार हैं और चीन में उनकी फिल्में काफी ज्यादा पंसद की जाती है। इस तरह अगर कमाई के मामले में देखें तो आमिर खान भारत के मुकाबले चीन में ज्यादा बड़े सुपरस्टार हैं।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आमिर खान काफी होशियार हैंं। पहले उन्होंने राष्ट्रवादी भारतीयों को आकर्षित करने के लिए सरफरोश, लगान और मंगल पांडेय जैसी देशभक्ति फिल्में बनाईं और बाद में चालाकी से फिल्मों के जरिए अपने एजेंडों को लागू करना शुरू कर दिया।

रंग दे बंसती फिल्म का उदाहरण लीजिए। इस फिल्म को जिसने भी देखी उसने डिफेंस डील में करप्शन को लेकर जॉर्ड फर्नाडिस और भाजपा को कोसने लगा। इसके बाद आमिर खान ने सत्यमेव जयते सीरिज के जरिए अपने हिंदू विरोधी एजेंडा को लागू करना शुरू कर दिया।

सत्यमेव जयते सीरिज के जरिए हृत्रह्र के लिए कलेक्ट किया गया फंड, ऐसे हृत्रह्र को दिया गया जो मुस्लिमों के लिए काम करती है।

आमिर ने तब अपनी सोबाय सत्यमेव जयते में अपने हिंदू-विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाना शुरू किया। उस सीरीज़ के माध्यम से एनजीओ के लिए इक_ा किया गया लगभग सारा पैसा मुसलमानों के लिए काम करने वाले उनके पालतू एनजीओ या भारत-विरोधी एजेंडे पर चला गया।

हम हिंदुओं ने अपने साहब की कहानियों पर विश्वास करके हमारे अपने दुश्मनों को धन दिया।

मैं सत्यमेव जयते में उनके हिंदू-विरोधी एजेंडे का सिर्फ एक उदाहरण दूंगा। उन्होंने हिंदुओं को बालिकाओं के हत्यारों के रूप में दिखाया। और फिर इसी कड़ी में दिखाया कि कैसे मुस्लिम बिना दहेज के शादी कर रहे हैं और इसलिए वे बच्चियों की हत्या नहीं करते। क्या यह किसी भी हिंदू महिलाओं के खून में उबाल नहीं लाएगा कि हमारे माता-पिता दहेज के लिए हमें मारते हैं जबकि मुसलमान दहेज नहीं लेते हैं और इसलिए उनकी लड़कियां सुरक्षित हैं? क्या यह गुस्सा मुसलमानों को लव जिहाद में मदद नहीं करेगा?

एक भी एपिसोड ऐसा नहीं था जहाँ आमिर ने इस्लामी समाज में सामाजिक बुराइयों को दिखाया हो। उन्होंने बुर्का या ट्रिपल तालक या बहुविवाह या हलाला या कम से कम इस बात पर कोई कड़ी नहीं बनाई कि हैदराबाद में किशोर लड़कियों को मुथा विवाह (अस्थायी विवाह) में पुराने अरबों को कैसे बेचा जाता है। अपने ही धर्म में सामाजिक बुराइयों पर एक भी प्रकरण नहीं।

सत्यमेव जयते भारत और इसकी संस्कृति पर सबसे बड़ी हिट नौकरी थी। उन्होंने भारत में सब कुछ मारा – डॉक्टरों से लेकर वैज्ञानिकों तक सभी को हवा से पानी। और हमने इस पर गुस्सा करने के बजाय इसके लिए ताली बजाई।।

उसके बाद पीके आई, जो अब तक की सबसे खराब हिन्दुफोबिक फिल्म है। हम हिंदुओं ने अपने ही भगवानों पर किए गए चुटकुलों पर हँसा। हम पाकिस्तानी लड़के के लिए आंसू बहाते हैं जो एक हिंदू लड़की से प्यार करता है।

भारतीय सिनेमा में पीके सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर बन गई, जबकि हिंदू अपने ही भगवानों पर हंसते थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आमिर खान ने विवादास्पद बयान दिया और कहा कि उनकी पत्नी को भारत में डर लगता है, लेकिन बड़ी बात यह है कि अब भी आमिर खान भारतीय दर्शकों से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। आमिर खान के हिडेन एजेंडे को समझने में हिन्दू नाकाम रहे हैं।

Kreately की रिपोर्ट में कहा गया है कि आमिर खान ने अब एक नये अवतार में तुर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मुलाकात की है। क्या आमिर खान मुलाकात से यह संदेश देना चाहते हैं कि अब तुर्की ही बॉस है जबकि तुर्की भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहा है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहना चाहिए और आमिर खान के फेस वैल्यू पर नहीं जाना चाहिए। आमिर खान बॉलीवुड से दूसरे सभी मुस्लिम स्टार्स से ज्यादा खतरनाक हैं।

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तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा, सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए हैं महिलाएं

भारत की Raw,, इजऱायल की Mossadऔर UAE की SIA मिलकर करेंगी तुर्की को बर्बाद

  तुर्की के शिकार का समय हो गया है!

 तुर्की की वर्तमान अवस्था बहुत बुरी है। एक ओर ईसाई जगत में उसकी आलोचना हो रही है, तो दूसरी ओर पूर्वी मेडीटेरेनियन सागर में ग्रीस के समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करने के कारण उसे फ्रांस और इजऱायल के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ-साथ उसे अफ्रीका में लीबियाई मोर्चे पर भी फ्रांस और यूएई के हाथों मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन ऐसा लगता है कि अभी तुर्की की समस्याएँ और बढऩे वाली है, क्योंकि उसकी हठधर्मिता के कारण जल्द ही हमें इजऱायल, यूएई और भारत के बीच एक रणनीतिक साझेदारी उभरती हुई दिख सकती है।

टीएफआई पोस्ट के अनुसार : परंतु तुर्की की समस्या तो इजऱायल के साथ पूर्वी मेडिटेरेनियन में है, ऐसे में यूएई और भारत का क्या काम? दरअसल, पूर्वी मेडिटेरेनियन तो केवल एक मोर्चा है, असल में जिस प्रकार से चीन दक्षिण पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया और अमेरिका के लिए खतरा बना हुआ है, उसी प्रकार से तुर्की पूर्वी मेडिटेरेनियन क्षेत्र के देश, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया, विशेषकर भारत जैसे देश के लिए एक तगड़े खतरे के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। ऐसे में इजऱायल, यूएई और भारत के बीच जल्द ही कूटनीतिक और रणनीतिक साझेदारी देखने को मिल सकती है।

सर्वप्रथम बात करते हैं इजऱायल की। इजऱायल को पारंपरिक तौर पर तुर्की से कोई विशेष खतरा नहीं रहा था, लेकिन तानाशाह एर्दोगन के नेतृत्व में अब तुर्की ईरान से भी बड़े खतरे के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। तुर्की ने हाल ही में अल-अक्सा मस्जिद को हागिया सोफिया परिसर की तरह पुन: ‘स्वतंत्रÓ कराने की वकालत की। ये इसलिए आपत्तिजनक नहीं था कि एर्दोगन दूसरे खलीफा बनने के ख्वाब बुन रहे हैं, बल्कि इसलिए था कि अल-अक्सा मस्जिद यहूदियों के पवित्र स्थल माउंट टैम्पल को ध्वस्त कर बनाया गया था, और इस मस्जिद का गुणगान यहूदियों की दृष्टि में उतना ही अशोभनीय है, जितना अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि परिसर को ध्वस्त कर बनाई गई बाबरी मस्जिद का महिमामंडन करना।

इसके अलावा तुर्की ने हाल ही में अमेरिका द्वारा सम्पन्न कराई गई यूएई इजऱायल शांति वार्ता का भी विरोध किया। ऐसे में मोसाद ने तुर्की को ईरान से भी बड़ा खतरा मानते हुए तुर्की के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया है। द टाइम्स के लेख के अनुसार,”मोसाद के अफसर कोहेन का मानना है कि, ईरान अब पहले जैसा खतरनाक नहीं रहा, क्योंकि उसे किसी ना किसी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन तुर्की की कूटनीति अलग है और उसके दांव पेंच ऐसे हैं कि उसे पकडऩा आसान नहीं है। इसी का फ़ायदा उठाकर वह पूर्वी मेडिटेरेनियन में अपना वर्चस्व जमा रहा है।” यही नहीं, इस लेख में हृ्रञ्जह्र की निरर्थकता सिद्ध करते हुए लिखा गया कि हृ्रञ्जह्र अब इस समस्या को नहीं सुलझा सकता, क्योंकि अब उसमें पहले जैसी बात नहीं रही।

अब तुर्की से यूएई को क्या समस्या है? इसके लिए हमें लीबिया की ओर रुख करना होगा। लीबिया के गृह युद्ध में जहां तुर्की त्रहृ्र गुट का समर्थन कर रहा है, तो वहीं लीबियाई नेशनल आर्मी गुट का समर्थन यूएई और फ्रांस कर रहे हैं। लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है। यूएई उस गुट का हिस्सा है, जो सऊदी अरब को निर्विरोध रूप से इस्लामिक जगत का नेता मानता है, जबकि तुर्की अपने आप को इस्लामिक जगत का नया नेता बनाना चाहता है।

इसी परिप्रेक्ष्य में जब ्रश्व ने इजऱायल से शांति समझौता किया, तो और कोई भड़का हो या नहीं, परंतु तुर्की को इस समझौते से सबसे अधिक तकलीफ हुई। उसने इस समझौते का विरोध भी किया, और यूएई पर तुर्की में जासूसी के आरोप भी लगाए। इसके अलावा यूएई ने अमेरिका के साथ उनके लड़ाकू विमान स्न-35 खरीदने पर भी विचार कर रहा है, जिससे तुर्की का बैकफुट पर आना लगभग तय है और इसीलिए वह और अधिक बौखलाया हुआ है।

ऐसे में यूएई भी भली-भांति जानता है कि तुर्की अब पहले जैसा नहीं है, और यदि उसे हल्के में लेने की भूल की, तो यूएई को आने वाले समय में काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसीलिए यूएई और इजऱायल में समझौता होने से ये भी सुनिश्चित हुआ है कि आने वाले समय में किसी भी संकट से निपटने के लिए दोनों देश एक दूसरे की हरसंभव सहायता कर सकते हैं, चाहे वह सैन्य स्तर पर हो या फिर कूटनीतिक स्तर पर, जिसका विस्तार इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी किया जा सकता है।

अब जितना खतरा तुर्की से यूएई और इजऱायल को है, उतना ही खतरा तुर्की से भारत को भी है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है कि तुर्की पिछले कुछ समय से भारतीय मुसलमानों को भारत के विरुद्ध भड़काने में लगा हुआ है। हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत करते हुए एक वरिष्ठ सरकारी अफसर ने बताया, “पिछले कुछ समय से हमने पाया है कि तुर्की की सहायता से कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकवाद को बढ़ावा देने हेतु भारतीय मुसलमानों को भड़काने में लगे हुए हैं।ÓÓ

इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कैसे तुर्की कश्मीर में अलगाववादियों को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से आर्थिक सहायता करता था, जिसके सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहे हैं कश्मीर अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी। इससे एक बार फिर ये बात सिद्ध होती है कि आखिर इतने लोगों को आतंक की आग में झोंकने के बावजूद गिलानी, मिरवाइज़ फ़ारूक और अब्दुल्ला परिवार जैसे अलगाववादी खुद इतने ठाट से कैसे रहते हैं।

इसके अलावा पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों की जांच पड़ताल में ये सामने आया है कि दंगाइयों को वित्तीय सहायता दिलवाने में किस प्रकार से तुर्की ने एक अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि चीन और पाकिस्तान के अलावा अब तुर्की भारत के लिए एक नए शत्रु के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। चूंकि, यूएई और इजऱायल, दोनों ही भारत के अच्छे मित्र माने जाते हैं, इसलिए यदि तीनों भविष्य में एक दूसरे की सहायता करते हैं, तो किसी को कोई हैरानी नहीं होगी।

जिस प्रकार से तुर्की ने इजऱायल, यूएई और भारत की नाक में दम कर रखा है,  वो अपने आप में अपनी शामत को गाजे बाजे सहित न्योता दे रहा है। इजऱायल से भिडऩे से पहले ही लोग दस बार सोचते हैं, और जब वह यूएई और भारत के साथ मिलकर तुर्की को चुनौती देगा, तो तुर्की को मुंह की खाने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा।

अर्थव्यवस्था और किसानों के मुद्दे पर राहुल ने साधा मोदी सरकार पर निशाना, लोगों ने ऐसे कराया खामोश

राहुल के इस ट्वीट पर कुछ ने तो उन्हें समर्थन किया लेकिन कुछ ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। एक यूजर ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए लिखा कि, ‘राहुल गांधी “एकमात्र” ऐसे टैलेंटेड नेता हैं, जिनसे “दोनों पार्टियों” को आशा रहती है कि, ये हमारी सरकार बनवा देगा।Ó
Amarsinh Makhwan
@amarsinhmakwana
भाई, तुमको मनमोहन सिंघने जिम्मेदारी देनी चाही तुम भाग गए।
कोंग्रेसने अध्यक्षकी जिम्मेदारी दी, तुम उसको डुबोके भाग गए।
न तुमने कभी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी उठाई।
बार बार कोंग्रेसको बीच मझधार छोड़ विदेश भाग गए।
सिर्फ सवाल उठाते हो, जिम्मेदारी कब उठाओगे???
देश को जवाब दो।
12:26 अपराह्न क 21 अग? 2020
@GreatInx35562495
एक बात लिख के लेलो और सेव करलो मेरा मेसेज, जिन रिपोर्ट और डेटा को लेकर कांग्रेस अभी द्दश1ह्ल को घेर रही है इकोनॉमिक्स पॉलिसी , देश के अर्थव्यवस्था को लेकर, जिस दिन ये सारी रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी और बढऩे लगेगी, तब कांग्रेस उन रिपोर्ट को झूठा और ड्ढद्भश्च से मिला हुआ बोल देगी।
1:35 अपराह्न क 21 अग? 2020
Ashish Kumar
@AshishK
Ji aapki sarkar garibo ki bat na kare to behatar |® sal to aahi sunate aa rahe garibi hataw desh bachaw lekin aapne kiya kya garibi to hati nahi par jitne bhi rajnetik log the wo log ka tijori ful ho gaya aapko diye etne sal to modi ji ko bhi dekh lete hain ki kya ye bhi hatate h
@Baliramyadav®®|
चीन/पाक की राजनीतिक पार्टी भारत से कोई समझौता नहीं की होगी लेकिन कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गाँधी चीन सरकार के साथ रूह्र करती है और राहुल गाँधी चीनी राजदूत बनकर सवाल करते फिरते हैं
करोड़ों देशवाशियों के गर्व का विषय,राहुल के लिए महत्वहीन रहा है
मोदी भारत के गौरव है ????
11:58 पूर्वाह्न क 21 अग? 2020
@nidaisyyou
सबकुछ कंट्रोल हो गया है सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी ही कंट्रोल नहीं हुआ है… जय जय श्री राम??
11:58 पूर्वाह्न क 21 अग? 2020
@DhansinghGayakv
शिक्षित युवा बेरोजगारों के,,,,लिये अभी तक,,,आपकी सरकार क्या किया है, महोदय उसे भी बता दीजिए। आप एक युवा होकर भी युवाओ की समस्या समझ नही पा रहें है, धन्य हैं, प्तछत्तीसगढ़शिक्षकभर्ती
प्तजवाबजरूरदें ञ्चड्ढद्धह्वश्चद्गह्यद्धड्ढड्डद्दद्धद्गद्य ञ्चञ्जस्_स्द्बठ्ठद्दद्धष्ठद्गश ञ्चरूशद्धड्डठ्ठरूड्डह्म्द्मड्डद्वक्कष्टष्ट ञ्चस्ड्डठ्ठद्भद्गद्ग1स्द्धह्वद्मद्यड्डष्टत्र
भगत सिंह जी का भक्त????
@SanjeevShuklaCG
कल अटलजी थे,
फिर आडवाणी जी थे,
अब narendramodi जी हैं,
कल शायद योगी होंगे.
कल नेहरू थे,
फिर इंदिरा गांधी थीं,
फिर राजीव गांधी थे,
अब @Rahulgandhi हैं,
कल शायद प्रियंका गांधी होंगी.
मैं एक विचारधारा का समर्थक, तुम एक परिवार के गुलाम.
12:06 अपराह्न क 21 अग? 2020

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