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सरहुल की पूर्व संध्या पर एकल और सामूहिक गीतों की प्रस्तुति

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Ranchi : सरहुल की पूर्व संध्या पर गुरुवार को रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप में सरना नवयुवक संघ की ओर से कार्यक्रम को आयोजन किया गया. कार्यक्रम में 32 एकल और सामूहिक गीतों की प्रस्तुति की गई. जनजातीय भाषा कुड़ुख, मुंडारी, खड़िया और संथाली भाषा में नृत्य एवं गीत प्रस्तुत किये गये. इसमें रांची विश्वविद्यालय और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि के छात्र- छात्राएं शामिल हुए. मौके पर संघ द्वारा सरना फूल पत्रिका के 42वें अंक का विमोचन किया गया.

सरहुल में साल पुष्प का विशेष महत्व- डॉ हरि उरांव

मौके पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय विभागाध्यक्ष डॉ हरि उरांव ने कहा कि सरहुल में सरई फूल और सरय अर्थात साल पुष्प का विशेष महत्व होता है. साल वृक्ष संघर्ष, साहस व सावधानी का प्रतीक है. इस पर आंधी- तूफान, गर्मी, बरसात जैसे मौसम का प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है. सभी मौसम में डटकर कर खड़ा रहता है. सदियों से यह वृक्ष आदिवासियों का प्रेरणा स्रोत रहा है.

ये थे शामिल

डॉ करमा उरांव ने कहा कि झारखंड में टेक्निकल यूनिवर्सिटी का नाम स्व कार्तिक उरांव के नाम पर रखने का प्रस्ताव किया गया है. राज्य में धर्म कोड की मांग हो रही है. यह आधात्मिक जगत की पहचान है. यह धार्मिक आचार संहिता से जुड़ा हुआ है. इसी से जीवन का सामाजिक मूल तत्व व जीवन दर्शन उभरेगा. मौके पर साधु उरांव, बिरेद्र सोय, मनय मुंडा, डॉ मिनाक्षी मुंडा, महादेव टोप्पो, शीतल उरांव, सरल उरांव, जाहेर भगत, मेरी एस सोरेन शामिल थे.

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