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झारखंड में नहीं थम रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध, साल भर में 214 महिलाओं की हत्या

Ranchi : झारखंड में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. महिलाओं के साथ हो रहे अपराध के आंकड़ें काफी चिंताजनक है. महिलाओं के साथ दुष्कर्म, छेडछाड़, अपहरण, दहेज के लिए हत्या एवं प्रताड़ना के मामलों में वृद्धि देखी गयी है. झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, साल भर में दहेज के लिए 214 महिलाओं की हत्या कर दी गयी. यानी हर महीने करीब 18 महिला दहेज लोभियों की शिकार हुई हैं. (पढ़ें, थी G20 अध्यक्षता पर कंसल्टेटिव कमेटी की बैठक… पर मुद्दा राहुल-अडानी का छाया रहा, भाजपा-कांग्रेस सांसदों में बहस)

गिरिडीह में दहेज के लिए हुई सबसे अधिक हत्याएं

दहेज के लालच में राज्य में विवाहित महिलाओं की हत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है. खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लातेहार और सरायकेला जिले को छोड़ बाकी जिले में दहेज के लिए हत्या करने के काफी मामले सामने आये हैं. झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, रांची में 12, गुमला में 2, लोहरदगा में 2, खूंटी में 1, जमशेदपुर में 9, चाईबासा में 1, सरायकेला 1, दुमका में 9, देवघर में 14, जामताड़ा में 6, गोड्डा में 5, साहिबगंज में 4, बोकारो में 13, धनबाद में 15, हजारीबाग में 20, गिरिडीह में 35, चतरा में 11, कोडरमा में 7, रामगढ़ में 10, गढ़वा में 21, पलामू 15 और लातेहार 1 की हत्या हुई हैं.

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दहेज उत्पीड़न मामले में ये है सजा का प्रावधान

आईपीसी की धारा 498-A दहेज के लिए उत्पीड़न से जुड़ी है. इसमें महिला के पति और उसके रिश्तेदारों की ओर से दहेज की मांग पर सजा का प्रावधान है. ऐसे मामलों में 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा आइपीसी की धारा 406 के तहत अगर महिला का पति या उसके ससुराल के लोग उसके मायके से मिला पैसा या सामान उसे सौंपने से मना करते हैं तो इस मामले में भी तीन साल की कैद और जुर्माना हो सकता है.

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दहेज हत्या पर सात साल से लेकर उम्रकैद की हो सकती है सजा

आईपीसी की धारा 304-B में यह प्रावधान है कि दहेज के लिए हत्या का मामला साबित होने पर कम से कम सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक दी जा सकती है. कानून के मुताबिक, यदि शादी के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में लड़की की मौत होती है. मौत से पहले दहेज प्रताड़ना का आरोप साबित हो जाता है तो महिला के पति और रिश्तेदारों को यह सजा हो सकती है.

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