Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

देश की आजादी के दीवानों से जुड़ा है Kanpur Ganga Mela का इतिहास, 6 दिनों तक नहीं छुड़ाया था रंग

कानपुरः यूपी के कानपुर में होली का पर्व एक सप्ताह तक मनाया जाता है। कानपुर में होली से ज्यादा गंगा मेला का महत्व है। गंगा मेला का इतिहास देश की आजादी के दिवानों से जुड़ा है। सोमवार को गंगा मेला का आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जा रहा है। गंगा मेला को शहर की सड़क, गली मोहल्ले में सिर्फ कलर से रंगे नजर आते हैं। हटिया बाजार से भैंसा ठेला, बैलगाड़ी में रंगों से भरे ड्रम लेकर होरियारे निकलते हैं। इनके साथ ही ऊंट और घोड़ों पर भी होरियारे सवार रहते हैं। इसके पीछे देश की आजादी से जुड़ा इतिहास है।

हटिया बाजार में रहने वाले बुजुर्ग ब्रह्म कुमार ने बताया कि उस समय एक ही कपड़े में सात दिनों तक होली खेली जाती थी। एक दर्जन से ज्यादा टोलियां शहर में घूम-घूम कर यहां स्थित ऐतिहासिक मैदान में इकट्ठा होते थे। इसके बाद करीब तीन घंटे तक फाल्गुन के गीतों पर जमकर नाचते गाते थे। उन्होंने कहा कि समय के साथ कुछ बदलाव जरुर हुए हैं, लेकिन होली वाले दिन और गंगा मेला के दिन जमकर होली खेली जाती है। कानपुर के पुराने मोहल्लो और इलाकों में गंगा मेला की धूम अलग से ही समझ में आती है।

युवाओं ने फहराया था तिरंगाहटिया बाजार की होली और गंगा मेला के साथ देश की आजादी की लड़ाई का एक इतिहास जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि साल 1942 में होली के दिन यहां के नौजवानों ने रज्जन बाबू के पार्क में लगे बिहारी भवन से भी ऊंचे लोहे की रॉड पर तिरंगा फहरा दिया था। इसके बाद वे गुलाल उड़ाते हुए नाच-गा रहे थे। इसकी जानकारी जब अंग्रेजी हुक्मरानों को हुई तो फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। अंग्रेज अधिकारियों ने झंडा उतारने का ओदश दिया। अंग्रेज सिपाहियों और युवाओं की टोलियों से जंग छिड़ गई।बाजार-प्रतिष्ठान बंद कर दिए थेहोली खेलने और झंडा फैराने के आरोप में अंग्रेजों ने हमीद खान, बुद्धूलाल मेहरोत्रा, नवीन शर्मा, गुलाब चंद्र सेठ, विश्वनाथ टंडन, गिरिधर शर्मा सहित एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। अंग्रेजों के इस कृत्य के बाद उनका विरोध शुरू हो गया। गिरफ्तारी के विरोध में कानपुर का पूरा बाजार बंद हो गया। विरोध दर्शाते हुए लोगों ने अपने चेहरे का रंग तक नहीं साफ किए। शहर की दुकानें और प्रतिष्ठानों में बंदी कर ताले लगा दिए गए।विरोध के स्वर सात समंदर पहुंचे थेशहर के हालात उस वक्त बिगड़ गए, जब इसके विरोध में मिलों और फैक्टरियों के मजदूर तक हड़ताल पर चले गए। कानपुर पूर्ण रूप से बंद हो गया। पुराने लोगों की मानें तो इस बंदी और विरोध के स्वर की गूंज सात समंदर पार तक पहुंच गई। कानपुर आंदोलन ने तीसरे दिन और तेजी पकड़ ली, जिसमें अंग्रेजों की जड़ें तक हिल गईं। हड़ताल के चौथे दिन अंग्रेजों के एक बड़े अफसर ने यहां आकर लोगों से बात की। इसके बाद होली के पांचवें दिन पकड़े गए सभी युवकों को छोड़ने का एलान किया गया।चेहरे से नहीं छुड़ाए थे रंगयुवाओं की जब जेल से रिहाई हुई तो उस दिन अनुराधा नक्षत्र की तिथि थी। इस दौरान पूरे शहर के लोग जेल के बाहर इकट्ठा हो गए थे। जेल में बंद युवकों ने भी अपने चेहरों से रंग नहीं छुड़ाया था। जेल से रिहा होने के बाद जुलूस निकाल कर इन सबको सरसैया घाट स्नान के लिए ले जाया गया। होली, होलिका दहन के बाद नहीं खेली जा सकी थी, वह उस दिन सरसैया घाट के तट पर गुलाल लगाकर खेली गई। इसके बाद से होलिका दहन से लेकर किसी भी दिन पड़ने वाले ’अनुराधा नक्षत्र’ की तिथि तक कानपुर में होली खेली जाती है।अमन शांति का प्रतीक है गंगा मेलाअनुराधा नक्षत्र के दिन कानपुर का रंग कुछ और ही दिखाई देता है। धर्म, जाति, वर्ग, अमीर-गरीब की दीवारें गिर जाती है। दोपहर तक पूरा शहर होली के रंग में सराबोर हो जाता है। इसके बाद आज (शनिवार) भी शाम के समय सरसैया घाट के तट पर ही उन आजादी के मतवालों की याद को जिंदा रखते हुए शहरवासी होली गंगा मेला मिलन समारोह का आयोजन करते हैं।होरियारों का जुलूसस्थानीय लोगों ने बताया कि सालों से चली आ रही इस परंपरा को हर साल निभाया जाता था। हालांकि, अब केवल दो दिन ही होली खेली जाती है। गंगा मेला के दिन यहां पर जमकर होली खेली जाती है। साथ ही ठेले पर रंग का जुलूस निकाला जाता है। यह हटिया बाजार से शुरू होकर नयागंज, बिरहाना रोड, चौक सर्राफा सहित कानपुर के आधा दर्जन पुराने मोहल्ले से होते हुए रज्जन बाबू पार्क में आकर खत्म होता है। जहां से भी लोग जुलूस के साथ निकलते हैं, वहां पर महिलाएं और बच्चे छतों से रंग और पानी उन होरियारों पर डालते हैं।गंगा किनारे लगता है मेलाइसके बाद शाम को सरसैया घाट पर गंगा मेला का आयोजन किया जाता है। यहां शहर भर के लोग इकट्ठा होते हैं और एक-दूसरे को होली की बधाई देते हैं। इस मेले में शासन, प्रशासन, व्यापारी और प्रबुद्ध वर्ग के साथ सामाजिक संगठन एवं आम शहरी भी मेले में अपनी भागीदारी निभाते हैं। यह एक ऐसा लोकोत्सव है, जिसमें सही मायने में पूरा शहर शामिल होता था।

Get Kanpur News, Breaking news headlines about Kanpur crime, Kanpur politics and live updates on local Kanpur news. Browse Navbharat Times to get all latest news in Hindi.