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न पढ़ाई की स्थिति अच्छी, ना नौकरी की व्यवस्था

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Rajnish Kumar

Ranchi: झारखंड बने 22 साल हो गए. राजनीतिक उतार-चढ़ाव लगातार रहा. इसका सबसे अधिक असर स्कूल-कॉलेजों व प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों पर पड़ा. भले ही स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ी, इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव लाया गया. खरीदारी व निर्माण के काम खूब हुए, पर विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की बहाली नहीं हुई. यह स्थिति रोजगार हो लेकर भी देखा जा सकता है. पिछले 22 सालों में 10 मुख्यमंत्री हुए. रोजगार को लेकर सबने बड़े-बड़े वादे किए. पर वादा निभाने के मामले में कोई भी खरा नहीं उतरे. जेपीएससी व जेएसससी ने नियुक्तियों के लिए विज्ञापन तो खूब निकाले गए. बेरोजगारों ने आवेदन भी खूब किए. आवेदन शुल्क के रूप में सरकार को करोड़ों रुपये मिले. परीक्षाएं भी हुईं. परीक्षा का परिणाम भी निकला. लेकिन नियुक्ति नहीं हुई. क्योंकि सरकार की नीतियां कानून के हिसाब से गलत साबित हुईं शिक्षकों की कमी की वजह से स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पारही है. सरकार की महत्वाकांक्षी घोषणा, जिसमें मॉडल स्कूल खोले गए और खोले जा रहे हैं, वहां भी जरूरी विषयों के शिक्षक नहीं हैं. अस्थायी तौर पर नियुक्त शिक्षकों को .न तो पर्याप्त वेतन मिलता है और न सही समय पर वेतन मिलता है. इस कारण स्कूलों में शिक्षा की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.
अब तक तीन बार नियोजन नीति रद्द

पिछले दिनों कोर्ट ने सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिया. अब, तब तक नियुक्ति नहीं हो सकती, जब तक नई नियोजन नीति नहीं बन जाती. सरकारों ने तीन बार नियोजन नीति तैयार की, कोर्ट ने तीनों को रद्द कर दिया, क्योंकि सरकारों ने नियोजन नीति बनाते वक्त संविधान, कानून की जगह वोट बैंक पर ज्यादा ध्यान दिया. पहली नियोजन नीति बाबूलाल मरांडी की सरकार में बनी. राज्य में हिंसा का दौर शुरू हो गया. मामला कोर्ट गया और इसे रद्द कर दिया गया. वर्ष 2016 में रघुवर दास सरकार में नियोजन नीति बनी. इसमें 13 जिलों को अधिसूचित क्षेत्र में रखा गया. 11 जिलों को सामान्य श्रेणी में रखा गया. मामला कोर्ट गया और इसे भी रद्द कर दिया गया. तीसरी बार हेमंत सोरेन की सरकार में नियोजन नीति बनी. फिर मामला कोर्ट में गया और इसे रद्द कर दिया गया.

शिक्षकों की संख्या
अस्थायी शिक्षक: 51326
पारा शिक्षक: 63773
विद्यार्थियों की संख्या

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कक्षा एक से पांच: 2,60,6,321

कक्षा छह से आठ: 1,47,2,615

कक्षा 9 से 10 : 6,45,725

कक्षा 11-12: 2,7,6979

स्कूलों की संख्या

कक्षा एक से पांच : 21,183

कक्षा एक से आठ: 11553

कक्षा एक से 10: 1386

कक्षा एक से 12 : 233

कक्षा एक से आठ: 12

कक्षा छह से 10 : 60

कक्षा छह से 12: 420

कक्षा 9 से 10: 259

कक्षा 9 से 12: 332

विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की स्थिति

सहायक शिक्षकों के स्वीकृत पद: 4,566

कार्यरत शिक्षक: 1,502

शिक्षकों के रिक्त पद: 3,064

विश्वविद्यालयों में शिक्षक और छात्र का अनुपात 1: 60 है
यूजीसी के अनुसार शिक्षक और छात्र का अनुपात 1:26 होना चाहिए.
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