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खर्च करने में तेजी दिखाएं अधिकारी, जनजातीय गांवो

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जनजातीय कल्याण के लिए राज्य को अनुदान देती है केंद्र सरकार 
पिछले 3 वर्षों में मिली राशि का 50 % भी खर्च नहीं कर पाया कल्याण विभाग
राज्यपाल रमेश बैस भी बीते 5 जनवरी को बैठक कर जता चुके हैं नाराजगी

Ranchi : जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार अनुच्छेद 275 (1) के तहत राज्य को अनुदान देती है. इसी तरह विशेष केंद्रीय सहायता से जनजातीय गांवों का विकास किया जाता है. कल्याण विभाग इस मद की राशि खर्च करने में काफी पीछे है. राज्यपाल रमेश बैस भी बीते 5 जनवरी को बैठक कर इस पर नाराजगी जता चुके हैं. राज्यपाल की नाराजगी को देख और 2023 को योजनाओं के क्रियान्वयन का वर्ष घोषित होने के बाद मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने आदेश दिया है कि अनुदान राशि खर्च करने में विभाग के अधिकारी तेजी दिखाएं. जनजातीय गांवों के विकास के लिए मिलने वाली विशेष केंद्रीय सहायता राशि खर्च करें. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन और छात्रवृत्ति योजना का लाभ जमीन स्तर तक पहुंचाएं. मुख्य सचिव गुरुवार को विभाग अंतर्गत चल रही योजनाओं, केंद्र से मिली अनुदान राशि की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. बैठक में वित्त विभाग के प्रधान सचिव, योजना एवं विकास विभाग के सचिव, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और ओबीसी कल्याण विभाग के सचिव, आदिवासी कल्याण आयुक्त सहित कई अधिकारी उपस्थित थे. मुख्य सचिव ने कल्याण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 5 साल का एक्शन प्लान बनाकर योजनाओं के लिए मिली राशि खर्च करें.

इन बिंदुओं पर समीक्षा की 

• कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र से पिछले वर्ष मिली राशि के खर्च की समीक्षा.

• अनुच्छेद 275 (1) के तहत मिलने वाली अनुदान राशि.

• विशेष केंद्रीय सहायता द्वारा जनजाति विकास (एससीए फॉर टीडी)

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• विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के लिए चल रही योजनाएं.

• छात्रवृत्ति योजना

• मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजनाओं का क्रियान्यवन

राज्यपाल रमेश बैस भी जता चुके हैं नाराजगी

बीते दिनों राज्यपाल रमेश बैस ने भी नाराजगी जताते हुए कहा था कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान दे रही है, लेकिन विभागीय अधिकारी योजना बनाकर राशि का खर्च नहीं कर पा रहे हैं. स्थिति यह है कि विगत तीन वित्तीय वर्षों में मिली राशि का केवल 50 प्रतिशत खर्च हो पाया है. इससे जनजाति आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.

पिछले तीन वित्तीय वर्ष में केंद्र द्वारा मिली अनुदान राशि और खर्च की गयी राशि (करोड़ में)

वित्तीय वर्ष 2020 – 2021 में 102.78 करोड़ मिला, खर्च हुआ 43.49 करोड़
वित्तीय वर्ष 2021 – 2022 में मिला – 122.64 करोड़, खर्च – 17.90 करोड़
वित्तीय वर्ष 2022 – 2023 में मिला 67.48 करोड़, अब तक कोई भी राशि खर्च नहीं.
विशेष केंद्रीय सहायता मद की राशि भी खर्च नहीं

बता दें कि विशेष केंद्रीय सहायता द्वारा जनजाति विकास मद से राशि खर्च करने में भी विभाग पूरी तरह से फेल रहा है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-21 में विशेष केंद्रीय सहायता मद से मिले 70.49 करोड़ में से केवल सिर्फ 13.11 करोड़ रुपये ही खर्च हुए. वित्तीय वर्ष 2021-22 में 65.31 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. विशेष केंद्रीय सहायता मद से 50 प्रतिशत या उससे अधिक आबादीवाले जनजातीय बहुल गांव में विकास की योजनाएं चलायी जाती है.

 सरकार ने क्रियान्वयन का वर्ष घोषित किया है

2023 को राज्य सरकार ने योजनाओं के क्रियान्वयन का वर्ष घोषित किया है. जनजातीय कल्याण विभाग अंतर्गत प्रमुख रूप से छात्रवृत्ति योजना और मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना चलती है. मुख्य सचिव ने दोनों योजनाओं की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने योजनाओं पर कार्य करने का निर्देश दिया.

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