Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

कोई राह निकलेगी?

Default Featured Image

दावोस में इस साल एजेंडा बिखरी दुनिया में आपसी सहयोग रखा गया है। जिस वक्त दुनिया दो खेमों में बंट रही है, उस समय यह एजेंडा प्रासंगिक तो है, लेकिन इसकी भावना के अऩुरूप कोई सहमति बना पाना असंभव-सा प्रतीत होता है।

स्विट्जरलैंड के दावोस में हर साल होने वाला ‘वर्ल्ड इकॉनमिक फोरमÓ एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है, जिसकी चर्चाएं अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। इसकी वजह यह है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को चलाने वाले कर्ता-धर्ता वहां इक_े होते हैं- वे जो कहते हैं, उससे अंदाजा लगता है कि अब उनकी प्राथमिकता क्या है। फोरम की 53वीं सालाना बैठक आज सोमवार से शुरू हुई है, जो 20 जनवरी तक चलेगी। इस साल का एजेंडा बिखरी दुनिया में आपसी सहयोग रखा गया है। जिस वक्त दुनिया दो खेमों में बंट रही है, उस समय यह एजेंडा प्रासंगिक तो है, लेकिन इसकी भावना के अऩुरूप कोई सहमति बना पाना असंभव-सा प्रतीत होता है। फोरम की यह बैठक वैश्विक महंगाई, ऊर्जा संकट, यूक्रेन युद्ध और चीन में फिर से बढ़ते कोविड के बीच हो रही है। अनुमान लगाया गया है कि बैठक में महंगाई, ऊर्जा संकट और चीन में बढ़ते कोविड के मामले बातचीत का बड़ा मुद्दा बने रहेंगे। फोरम के प्रमुख क्लाउस शवाब ने कहा कि आर्थिक, सामाजिक, भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय संकट एक साथ मिलते दिख रहे हैं, जो बहुत विविध और अनिश्चित भविष्य बना रहे हैं।

उन्होंने कहा है- दावोस की वार्षिक मीटिंग में यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी कि नेता संकट वाली मानसिकता में फंसे ना रह जाएं। इस आयोजन में 130 देशों के करीब 2,700 राजनेताओं, कारोबारियों और समाज को प्रभावित करने वाले लोगों के शामिल होने की संभावना है। लेकिन इस बार प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार प्रमुखों की उपस्थिति नाम-मात्र की ही है। जी-7 देशों के बीच सिर्फ जर्मन चांसलर ओलॉफ शॉल्ज ऐसे हैं, जो इसमें भाग लेने पहुंच रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसमें शामिल नहीं होंगे। इससे बैठक पर फर्क पड़ेगा। दोनों बड़ी ताकतों के नेताओं की गैर-मौजूदगी के कारण वैश्विक तनाव के मुद्दों पर सार्थक वार्ता की उम्मीद वहां नहीं होगी। हालांकि यह जरूर बताया गया है कि दोनों देशों के व्यापार प्रमुख दावोस में मिलेंगे और गुजरे वर्षों में बढ़े व्यापारिक संबंधों पर बातचीत करेंगे। यह देखने की बात होगी कि क्या इससे इन तनावों में कोई कमी आती है।

००

You may have missed