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साइंस लिटरेचर फेस्टीवल ‘विज्ञानिका’

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विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में मातृभाषा की अहम भूमिका है।ये विचार 8वें भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में दूसरे दिन  मुख्य अतिथि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी ने साइंस लिटरेचर फेस्टीवल ‘विज्ञानिका’ के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किये। 

डॉ. कलैसेल्वी ने कहा कि विज्ञान को विभिन्न विधाओं से आम लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम केवल विज्ञान नहीं अनुसंधान का उत्सव भी मना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि रिसर्च में प्रेक्षण का महत्व है। एक छोटा विचार भी भविष्य में बड़ी भूमिका निभा सकता है। डॉ. एन.कलैसेल्वी ने कहा कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं ने हर क्षेत्र में अनुसंधान किया है और आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में भूमिका निभाई है।

विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा कि बीते दशकों में भारत ने विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की है। अब हमारा देश दूसरे देशों के उपग्रहों को भेजने में सक्षम है। डॉ. मांडे ने कहा कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं ने कोविड-19 महामारी के दौरान कई तरह से योगदान किया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान संचार की कमजोरियों को दूर करने के बाद ही आम लोगों तक विज्ञान की सफलताओं को पहुँचाया जा सकता है। 

मध्यप्रदेश भोज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय तिवारी ने कहा कि विज्ञान उत्सव आईआईएसएफ जन-जन तक विज्ञान को पहुँचाने का सशक्त प्लेटफॉर्म है। उन्होंने कहा समाज में ‘डिजिटल विभाजन’ हो रहा है, जिसे रोकने के लिए विज्ञान संचारकों को आगे आना चाहिये।

साइंस रिपोर्टर के संपादक श्री हसन जावेद खान ने स्वागत उदबोधन में कहा कि विज्ञान संचार क्षेत्रीय भाषाओं में होना चाहिये। विज्ञान प्रगति के संपादक मनीष मोहन गोरे ने भी विचार व्यक्त किये। विज्ञान कविताओं पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। अपनी भाषा, अपना विज्ञान पर पैनल चर्चा हुई, जिसमें विभिन्न भाषाओं के विज्ञान संचारकों ने भाग लिया