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Editorial:PFI के आतंकवादी कनेक्शन, फंडिंग और इरादे

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30-98-2022

अंतत: वही हुआ जो हम आपको कई वर्षों से बता रहे थे। आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया को भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है। प्रतिबंधित करने से पहले सरकारी एजेंसियों ने दो दिनों तक नियमित तौर पर इस संगठन के ऊपर छापेमारी की। आतंकवादी संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया गया। देश के सभी हिस्सों में जांच एजेंसियों ने एक साथ छापेमारी की। इसे ऑपरेशन ऑक्टोपस का नाम दिया गया।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया यानी PFI देश के कई हिस्सों में पिछले कई वर्षों से सक्रिय था। इन जगहों पर वो अपने आतंकवादी एजेंडों को आगे बढ़ा रहा था- उन्हें पाल-पोष रहा था। इसके साथ ही उसने अपने कई सहयोगी संगठनों को भी खड़ा कर लिया। सरकार ने आज इन पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इस विशेष दिन आइए हम विस्तार से समझते हैं कि PFI संगठन क्या है? इसके वित्तीय लेन-देन क्या हैं? इसके आतंकवादी संगठन से क्या-क्या कनेक्शन हैं?

PFI आतंकवादी संगठन है, वर्ष 2006 में नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के रूप में PFI का गठन किया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में ही है। PFI ने केरल के नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई को साथ लेकर देश में नफरत फैलाने का काम किया है। संगठन दावा करता था कि वो देश के 23 राज्यों में सक्रिय है। स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद PFI का विस्तार बहुत तेजी से हुआ। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है।

2012 में केरल सरकार ने भी यही कहा कि PFI “प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक अन्य रूप में पुनरुत्थान के अलावा कुछ नहीं है।” PFI के कार्यकर्ताओं के घरों से पुलिस को कई बार हथियार, बम, बारूद, तलवारें मिले हैं।

पीएफ़आई के विज़न 2047 डॉक्यूमेंट के अनुसार इस आतंकवादी संगठन का उद्देश्य अगले 25 वर्षों के भीतर भारत को इस्लामिक राष्ट्र घोषित करना था। संगठन का नाम राष्ट्रीय स्तर पर तब चर्चा में आया जब पैगम्बर मोहम्मद के विषय में की गई टिप्पणी को लेकर वर्ष 2010 में इसके कैडरों ने केरल के प्रोफेसर टी जे जोसेफ का दाहिना हाथ काट दिया था। बिहार से बरामद किए गए विजन 2047 के अनुसार संगठन बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के भीतर फूट डालने एवं उन्हें आरएसएस के विरुद्ध भड़काने की योजना पर काम कर रहा था।

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फंडिंग

पीएफ़आई जैसे आतंकवादी संगठन तब तक नहीं फल-फूल सकते जब तक कि उन्हें वित्तीय संसाधन उपलब्ध ना करवाए जाएं। PFI जैसे संगठनों को निरंतर तौर पर वित्तीय मदद की जा रही थी। आइए, समझते हैं कि कहां से कितना पैसा PFI को मिल रहा था।

पिछले वर्ष फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय ने PFI और इसकी छात्र विंग कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया के 5 सदस्यों के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दायर की थी। ED की जांच के अनुसार PFI का राष्ट्रीय महासचिव ए रऊफ गल्फ देशों में बिजनेस डील की आड़ में PFI के लिए धन संचय करता था। यही पैसा अलग-अलग तरीकों से आतंकवादी संगठन PFI और उसकी छात्र विंग कैंपस फ्रंस ऑफ़ इंडिया तक पहुंचता था।

ED के अनुसार, 2009 से 60 करोड़ रुपये PFI के खातों में जमा किए गए हैं। अकेले RIF के खाते में 2010 से 58 करोड़ रुपये जमा किए गए। ईडी का कहना है कि अलग-अलग स्रोतों से डोनेशन के नाम पर बहुत पैसा PFI को दिया गया है। संस्था ने इसके साथ ही कहा कि जिन लोगों ने PFI को चंदा दिया, उनकी भी जांच की जाएगी। ED ने अभी तक RIF, जोकि PFI की ही एक ब्रांच है- उसके 10 खाते भी फ्रीज कर दिए हैं। इसके साथ ही विस्तृत जांच शुरू कर दी है।

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इसके अलावा ईडी ने इसी वर्ष मार्च और अप्रैल में अब्दुल रज़ाक बीपीन और अशरफ एमके को गिरफ्तार किया था। यह दोनों ही शख्स अबू धाबी में होटल चलाते हैं, लेकिन होटल के पीछे इनका वास्तविक काम पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के लिए मनी लॉन्ड्रिंग करना था।

इस राशि का उपयोग संगठन ने अपनी अवैध गतिविधियों के लिए किया। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध दिल्ली में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई थी। उस वक्त भी इसी तरह की रिपोर्ट निकलकर सामने आईं थी कि आतंकवादी संगठन PFI का इसमें हाथ है। इस हिंसा में भी PFI ने उन्हीं पैसों का इस्तेमाल किया था।

जांच एजेंसियों के मुताबिक आतंकवादी संगठन की पैसे ट्रांसफर और कैश डिपॉजिट करने की गतिविधियां 2013 के बाद तेजी से बढ़ीं। अब हमारे सामने सवाल आते है कि तमाम नियम और कानून होने के बाद PFI विदेशों से इतना धन कैसे प्राप्त कर लेता है- इसका सीधा जवाब है हवाला। PFI तक ज्यादा से ज्यादा पैसा हवाला का जरिए पहुंचता है।