
Ranchi: डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनायी गई. इस अवसर पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग द्वारा व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने किया. जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में रांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जंग बहादुर पांडेय उपस्थित रहे. कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि उनके बारे में एक उक्ति काफी प्रसिद्ध है.
हरिवंश राय बच्चन ने दिनकरजी के विषय में कहा था कि दिनकर जी को एक नहीं बल्कि गद्य, पद्य, भाषा और हिंदी सेवा के लिए अलग-अलग चार ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने चाहिये. इस उक्ति से राष्ट्रकवि दिनकर के ज्ञान की व्यापकता का सहज अंदाज लगाया जा सकता है.
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आगे उन्होंने कहा कि जब भी आप अपने अंदर नैराश्य भाव या सकारात्मक ऊर्जा की कमी महसूस करें, आप राष्ट्रकवि दिनकर को इन पंक्तियों को आत्मसात करें, सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, छन्न एक नहीं धीरज खोते, विध्नों को गले लगाते हैं, कांटों में राह बनाते हैं. मुख्य वक्ता ने कहा कि पूरी जीवन पर समग्रता से चर्चा की और कहा कि पौरुष और पावक जवानी और रवानी, ऊर्जा और उमंग के प्रतोक के पर्याय है. उन्होंने आगे कहा कि जिन कवियों ने हिंदी कविता को छायावाद की परछाई से निकालकर उसे प्रसन्न आलोक के देश में पहुंचाया, उसमें जीवन का तेज भरा और उसको समसामयिक संघर्षों से उलझना सिखाया, उनमें दिनकर का नाम सर्वोपरि है.
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