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Ram Barat in Agra: माता जानकी के हाथों पर रची मेहंदी, आज दूल्हा बनेंगे श्रीराम, स्वागत को बेताब जनकपुरी

आगरा में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के स्वागत के लिए जनकपुरी दुल्हन की तरह सज चुकी है। दो साल बाद दयालबाग में जनकपुरी महोत्सव का आयोजन हो रहा है। श्रीराम बरात बुधवार शाम को रावतपाड़ा स्थित लाला चन्नोमल की बारहदरी से निकलेगी। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। श्रीराम बरात के स्वागत के लिए जनकपुरी के लोग बेताब हैं। मिथिलानगरी में हर्ष का माहौल है। मंगल गीत गूंज रहे हैं। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए हैं। राजा जनक के स्वरूप आलोक अग्रवाल के दयालबाग स्थित फॉर्म हाउस पर  मंगलवार को मेहंदी की रस्म हुई। सीता जी और रानी सुनयना की स्वरूप आरती अग्रवाल ने मेहंदी लगाई। परिवार के लोगों ने भी इसमें भाग लिया। रतजगा हुआ। मेरे प्रभु राम, तेरा इंतजार है… महिलाओं ने भजन गाए। देर रात तक कीर्तन हुआ। उधर, रामलीला आयोजन में राजा दशरथ के स्वरूप संजय मित्तल के कमला नगर स्थित आवास पर मंगलवार को मेहंदी की रस्म हुई। 

राजा जनक के स्वरूप आलोक अग्रवाल के दयालबाग स्थित फॉर्म हाउस पर भी मंगलवार को मेहंदी की रस्म हुई। सीता जी और रानी सुनयना की स्वरूप आरती अग्रवाल ने मेहंदी लगाई। परिवार के लोगों ने भी इसमें भाग लिया। रतजगा हुआ। मेरे प्रभु राम, तेरा इंतजार है… महिलाओं ने भजन गाए। देर रात तक कीर्तन हुआ। 

श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बताया कि श्रीराम की बरात में 100 झांकियों के अलावा बैंड और अखाड़ा चलेगा। सबसे आगे शहनाई और ढोल होंगे। इनके पीछे चलने वाले दो ऊंट शोभायात्रा के आकर्षण का केंद्र रहेंगे। इनके पीछे राजा दशरथ और रानी कौशल्या के परिजन का रथ चलेगा। 

श्रीराम बरात में चांदी के रथ में सवार विष्णु और लक्ष्मी जी के स्वरूप भी राम भक्तों को काफी लुभाएंगे। खंडेलवाल ने बताया कि बारात के सबसे आखिरी में श्रीराम का रथ होगा। इससे आगे भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण के रथ चलेंगे। 22 सितंबर को प्रात: सात बजे तक बरात जनकपुरी पहुंच जाएगी। 

बरात लाला चन्नोमल की बारहदरी, मन:कामेश्वर गली से प्रारंभ होकर रावतपाड़ा, अग्रसेन मार्ग (जौहरी बाजार), सुभाष बाजार, लाला कोकामल मार्ग (दरेसी नंबर-1 व 2), छत्ता बाजार, कचहरी घाट, बेलनगंज, पथवारी, धूलियागंज, सिटी स्टेशन रोड, घटिया छिली ईंट, फुलट्टी बाजार, सेव का बाजार, किनारी बाजार, कसेरट बाजार होते हुए रावतपाड़ा पर विश्राम लेगी। यहां से पुन: यमुना पार मार्ग, भगवान टाकीज होते हुए दयालबाग पहुंचेगी।