Ranchi: केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान में आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य पर जिम्मेदार रिपोर्टिंग विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. आत्महत्या एक “कॉपी-कैट” अधिनियम है, और नकल के माध्यम से आत्महत्या से होने वाली मौतों में वृद्धि हो सकती है. ऐसे में आत्महत्या से होने वाली मौतों की समझदार रिपोर्टिंग के जरिये कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. कार्यशाला में झारखंड के विभिन्न प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के कुल 20 मीडिया पेशेवरों ने भाग लिया. कार्यशाला के मुख्य अतिथि रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्रा थे.
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आत्महत्या रोकने में मीडिया निभा सकता महत्वपूर्ण भूमिका
सीआईपी के निदेशक प्रो. डॉ. बी दास ने सभा को संबोधित किया, और मानसिक बीमारी और आत्महत्या की रिपोर्टिंग पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 के दिशा-निर्देशों पर चर्चा हुई. साथ ही साथ उन्होंने बताया कि आत्महत्या को रोकने और मानसिक बीमारी से संबंधित कलंक को कम करने में मीडिया की भूमिका बहुत महात्वपूर्ण है, और वे आत्महत्या संबंधित रिपोर्टिंग को स्वास्थ्य और सकारात्मक रिपोर्टिंग के जरिये इस दूरी तय करने का अद्भुत काम कर सकते है. कार्यशाला के दौरान उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्ति और वक्ता रॉयल ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड कॉलेज ऑफ साइकियाट्रिस्ट्स (आरएएनजेडसीपी) के अध्यक्ष प्रो डॉ बिनय लकड़ा, मेलबर्न के प्रोफेसर डॉ हेलेन हरमन विश्वविद्यालय, डब्लूएचओ के सदस्य डॉ लक्ष्मी विजयकुमार एवं इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर सुसाइड रिसर्च एंड प्रिवेंशन, डॉ सुजीत सर्कल मौजूद रहे.
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