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UP Politics: क्या अखिलेश यादव को लेकर सॉफ्ट हो रहीं मायावती? अचानक भाजपा को याद दिला रहीं उनका ‘क्रूर इतिहास’!

लखनऊ: यूपी विधानमंडल का मॉनसून सत्र के आज दो दिन पूरे हुए हैं। इन दो दिनों में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर जबरदस्त हमला किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की अगुवाई में पहले दिन सड़क पर प्रदर्शन देखने को मिला फिर आज सदन के अंदर वेल में प्रदर्शन, धरना से लेकर नारेबाजी-हंगामा हुआ। वहीं सिर्फ एक विधायक के साथ बसपा सदन में तो कुछ खास नहीं कर पा रही लेकिन पार्टी की सुप्रीमो मायावती अपने बयानों से चर्चा में जरूर बनी हुई हैं। आमतौर पर समाजवादी पार्टी पर ज्यादा मुखर दिखने वालीं मायावती पिछले दो दिनों से सपा के समर्थन में खड़ी नजर आ रही हैं। यही नहीं बीजेपी सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर रही हैं। मायावती कह रही हैं कि सरकार की लापरवाही के खिलाफ धरना-प्रदर्शन नहीं करने दिया जा रहा है, उलटा दमन चक्र चलाया जा रहा है। ये वही भाजपा है, जिसका विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आम-जनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है।

मायावती के इस बदलते रुख के तमाम सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं। कयासबाजी के दौर तेज हैं। चर्चाएं हैं कि सपा ने जिस तरह से सड़क पर लड़ाई का रास्ता अपनाया है, बसपा भी जल्द ही इसी रास्ते पर उतरने की तैयारी में है। वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे 2024 के आम चुनाव से पहले मायावती की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। जिसमें मुद्दों के आधार पर सपा और भाजपा को समर्थन देना या विरोध करना शामिल है। ताकि बसपा चुनावों में राजनीतिक रूप से विकल्प बनी रहे।

बहरहाल, आज जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो मायावती का ट्वीट आया, “विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक। इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निन्दनीय। यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे, बीएसपी की मांग।”

उन्होंने आगे लिखा कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उनपर दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आम-जनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है।

इससे पहले जब अखिलेश यादव सड़क पर संघर्ष कर रहे थे तो मायावती का ट्वीट आया था, “यूपी विधानसभा मानसून सत्र से पहले भाजपा का दावा कि प्रतिपक्ष यहां बेरोजगार है, यह इनकी अहंकारी सोच व गैर-जिम्मेदाराना रवैये को उजागर करता है। सरकार की सोच जनहित व जनकल्याण के प्रति ईमानदारी एवं वफादारी साबित करने की होनी चाहिए, न कि प्रतिपक्ष के विरुद्ध द्वेषपूर्ण रवैये की। यूपी सरकार अगर प्रदेश के समुचित विकास व जनहित के प्रति चिन्तित व गंभीर होती तो उनका यह विपक्ष-विरोधी बयान नहीं आता, बल्कि वे बताते कि जबर्दस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, गड्डायुक्त सड़क, बदतर शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था में नजर आने वाला सुधार किया है व पलायन भी रोका है।”

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