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…तो पूर्वांचल में बदलेंगे बाहुबलियों के समीकरण, बाहुबली Brijesh Singh के जेल से बाहर आने के बाद लग रहीं अटकलें

लखनऊ: बाहुबली बृजेश सिंह (Brijesh singh) 14 साल बाद जेल से बाहर आ गए हैं। बृजेश के जेल से बाहर आने पर पूर्वांचल में राजनैतिक और बाहुबलियों के समीकरण बदलने तय हैं। माना जा रहा है कि जेल से बाहर आने के बाद जहां बृजेश अपनी पत्नी अन्नपूर्णा के बाद बेटे सिद्धार्थ के लिए राजनैतिक (up politics) जमीन तैयार करेंगे, वहीं मुख्तार अंसारी और इंद्रदेव सिंह उर्फ जैसे दुश्मन गैंगों से खुद को बचाने की जद्दोजहद भी होगी।

साल 2016 में जेल में रहते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एमएलसी चुनाव जीतने वाले बृजेश इस साल एमएलसी चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। हालांकि, ऐन मौके पर कुछ राजनैतिक कारणों से पत्नी अन्नपूर्णा को निर्दलीय चुनाव लड़वाया। उनकी पत्नी ने जीत हासिल की। अन्नपूर्णा एक बार पहले भी एमएलसी रह चुकी हैं। बृजेश ने बेटे सिद्धार्थ को भदोही से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़वाने की तैयारी की थी, लेकिन एक बार फिर राजनैतिक वजहों से हाथ खींच लिया। हालांकि, बृजेश सिद्धार्थ को राजनीति के लिए तैयार कर रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के एक मंत्री के यहां एक कार्यक्रम में सिद्धार्थ मौजूद था। मंत्री ने खुद सोशल मीडिया पर सिद्धार्थ के साथ अपनी फोटो शेयर की और सिद्धार्थ का परिचय एमएलसी पुत्र के रूप में दिया।

खुद को क्लीन रखने की कोशिश
बृजेश करीब 14 वर्षों से जेल में हैं। इस दौरान प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूर्वांचल में हुए किसी भी अपराध में बृजेश का नाम नहीं आया। बृजेश ने अपने और परिवार की छवि को बेहतर बनाने की पूरी कोशिश की। डीएसपी से हुई उनकी बेटी की शादी भी चर्चा में रही। सिद्धार्थ को बृजेश ने वेलहम स्कूल से पढ़ाया। कहा जा रहा है कि भदोही के बाहुबली विजय मिश्रा के कमजोर होने के बाद बृजेश वहां से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। वाराणसी, मीरजापुर और चंदौली में कद्दावर राजनीतिज्ञों के चलते समीकरण उनके पक्ष में नहीं हैं। इसलिए बृजेश को भदोही सबसे सुरक्षित नजर आ रहा है।

पूर्वांचल में बाहुबलियों की राजनैतिक जमीन कमजोर हुई है
बीते कुछ साल में पूर्वांचल में बाहुबलियों की राजनैतिक जमीन कमजोर हुई है। जेल में बंद मुख्तार इस बार चुनाव ही नहीं लड़ पाए। हालांकि, मुख्तार का बेटा सुभासपा के टिकट पर विधायक बन गया। जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह लंबे समय से कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं। हालांकि, अपनी पत्नी श्रीकला जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में कामयाब रहीं। बागपत जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी ने खुद और पत्नी को चुनाव जिताने के लिए प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली।