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आयुष चिकित्सा पद्धति को संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकताकालेज कैम्पसों में एक सप्ताह का स्वच्छता अभियान चलायेंआयुष विभाग को प्राप्त हुए लगभग 10 हजार करोड़ रु0 के इन्वेस्टमेंट प्रस्ताव

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कोरोना काल में जिस तरह हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ने लोगों के जीवन को बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उसके बाद आयुष के अंतर्गत आने वाली पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को लेकर आमजन में विश्वास मजबूत हुआ है। हमारे पास आयुष के रूप में लोक चिकित्सा की एक मजबूत संस्कृति है जिसके संरक्षण और संवर्धन की काफी आवश्यकता है। यह बातें आयुष खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री श्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल गोमतीनगर के सभागार में होम्योपैथिक प्राचार्यों के साथ विभागीय समीक्षा के दौरान कहीं।
आयुष मंत्री ने मिशन कायाकल्प के अंतर्गत पूर्व में आवंटित की गई राशि से हुए कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने प्राचार्यों से होम्योपैथिक अस्पतालों में चलाए जा रहे ओपीडी/आईपीडी की मौजूदा स्थिति एवं मरीजों को दी जा रही सुविधाओं के विषय में भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सभी लोग अपने अस्पताल एवं कॉलेज परिसर में स्वच्छता सुनिश्चित करें एवं एक हफ्ते का सफाई अभियान चलाएं। होम्योपैथिक कॉलेज के शैक्षिक कैलेण्डर, सिलेबस और समय से परीक्षा को लेकर भी उन्होंने प्राचार्यों से जानकारी ली और कहा कि सभी प्राचार्य छात्रों के बीच जाकर अध्यापकों का फीडबैक लें और शैक्षिक कैलेण्डर के हिसाब से सिलेबस पूर्ण कराने पर जोर दें। मंत्री के समक्ष कॉलेज एवं अस्पतालों की बेहतरी को लेकर कुछ बिंदुओं पर अपनी जरूरतें साझा की जिसे माननीय आयुष मंत्री ने शीघ्र पूरा करने का आश्वासन दिया।
श्री दयाशंकर मिश्र ने कहा कि आपसी सामंजस्य बनाकर सभी को काम करने की जरूरत है। अपने दायित्वों को समझते हुए ईमानदारी से कार्य करें क्योंकि आयुष को लेकर माननीय प्रधानमंत्री जी विशेष तौर पर संवेदनशील हैं। कल मन की बात कार्यक्रम में भी आयुष का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इसमें करीब 10 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट प्रपोजल्स मिले हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में आयुष को लेकर काफी कार्य हो रहे हैं और अस्पतालों का उच्चीकरण किया जा रहा है।
बैठक में निदेशक होम्योपैथ सहित प्रदेश के सभी राजकीय कॉलेज के प्राचार्य उपस्थित रहे।