लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर में गड़बड़ी का मुद्दा (Health Department Transfer Row) अब खासा गरमा गया है। विभागीय मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की ओर से ट्रांसफर में गड़बड़ी का मामला उठाए जाने के बाद हुई जांच में गड़बड़ी पाई गई। 4 जुलाई को मुद्दा सार्वजनिक होने के 26 दिनों बाद विभाग ने सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर ट्रांसफर में गड़बड़ के आरोपों को सही पाया। लेवल-1 के 313 डॉक्टरों के ट्रांसफर आदेश में संशोधन किया गया। 48 डॉक्टरों के ट्रांसफर ऑर्डर रद्द किए गए। इसके बाद अब इस मामले में अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हुई है। यूपी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं में निदेशक डॉ. निरुपमा दीक्षित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई गठित कर दी गई है। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक, कार्मिक बीकेएस चौहान डॉ. राज कुमार और डॉ. सुधीर कुमार यादव के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। उनके अलावा कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है।
विशेष सचिव मन्नान अख्तर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि महानिदेशालय स्तर पर ट्रांसफर सत्र 2022-23 के लिए लेवल-1 के चिकित्सा अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए समिति का गठन किया गया था। इस समिति के सदस्य के तौर पर डॉ. वीकेएस चौहान ने अपने पद के दायित्वों का पूरी तरह से निर्वहन नहीं किया। इस कारण लेवल-1 के साथ-साथ लेवल-2 और 3 के चिकित्सा अधिकारियों का भी ट्रांसफर हो गया। उनके खिलाफ यूपी सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 के नियम 7 के तहत विभागीय कार्यवाही का आदेश जारी किया गया है। डॉ. चौहान पर लगे आरोपों की जांच बस्ती मंडल के चिकित्सा एवं परिवार कल्याण अपर निदेशक करेंगे।
डॉ. निरुपमा से मांगा गया स्पष्टीकरण
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं में निदेशक डॉ. निरुपमा दीक्षित से स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन पर आरोप लगा है कि फॉर्मासिस्ट संवर्ग के 6626 कार्यरत कर्मियों में से 626 कर्मियों का ट्रांसफर उन्होंने निजी अनुरोध पर किया है। यह इस संवर्ग में कुल ट्रांसफर का करीब 48 फीसदी है। नीतिगत आधार पर 52 फीसदी ट्रांसफर किए गए हैं। ईजीसी टेक्नीशियन के 105 कार्यरत कर्मियों में से 48 का ट्रांसफर किया गया। यह करीब 46 फीसदी बनता है। वहीं, लैब टेक्निशियन के 2067 पदों में से 213 का ट्रांसफर किया गया। यह निर्धारित 10 फीसदी की सीमा से अधिक हैं।
एक्सरे टेक्निशियन संवर्ग के 909 कर्मियों में से 93 का ट्रांसफर किया गया, यह भी तय सीमा से अधिक पाया गया है। सरकार ने इसे कर्तव्य के प्रति अवहेलना करार दिया है। उन्हें पहली नजर में दोषी मानते हुए सात दिनों में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। सरकार ने साफ कहा है कि अगर वे ट्रांसफर मामलों पर अपनी उचित सफाई नहीं देती हैं तो उनके खिलाफ विभाग की ओर से नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे।
वेदब्रत सिंह पर भी आरोप गठित
यूपी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं के तत्कालीन महानिदेशक डॉ. वेदब्रत सिंह के खिलाफ भी आरोप गठित किया गया है। वे रिटायर हो चुके हैं। उन पर आरोप लगा है कि महानिदेशालय स्तर पर लेवल-1 के चिकित्सा अधिकारियों, फार्मासिस्ट संवर्ग, ईसीजी टेक्निशियन, लैब टेक्निशियन, अन्य संवर्ग और प्रयोगशाला सहायक संवर्ग के कर्मियों के ट्रांसफर में उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया। स्थानांतरण नीति के उल्लंघन के आरोप में उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही का गठन किया गया है। उन पर लगे आरोपों की जांच स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा अनुभाग-7 के सचिव करेंगे।
More Stories
लोकसभा चुनाव 2024: दूसरे चरण का प्रचार थमा, 88 वें चरण में वोटिंग कल
जल विभाग के 4 कर्मचारियों को नोटिस जारी करने का कारण
पुलिस ने रोकी कार, गाड़ी से मिली 84 बोतल शराब