Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

स्वास्थ्य विभाग ने मानी गलती, मंत्री ने उठाए थे सवाल… CM योगी ने कराई जांच, 48 डॉक्टरों के ट्रांसफर कैंसिल

Default Featured Image

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रशासनिक महकमे से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इन दिनों ट्रांसफर विवाद (Transfer Controversy) खासा गरमाया हुआ है। विपक्ष को सरकार पर हमले का एक अहम हथियार मिल गया है। तमाम विपक्षी पार्टियां इस मसले को लेकर सरकार को घेरने में लगी हैं। वहीं, सत्ता पक्ष इस पूरे विवाद पर बैकफुट मोड में नजर आ रहा है। ट्रांसफर विवाद को समाप्त करने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है। स्वास्थ्य विभाग में तबादलों के खेल से उठा विवाद कई विभागों को अपन चपेट में लेता दिखा। करीब 9 विभाग के तबादलों पर सवाल उठे। तबादलों और अनदेखी का मामला उठाकर तो राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने मंत्री पद से अपना इस्तीफा सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेज दिया। बाद में मामला शांत कराया गया। अब स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर अपनी गलती स्वीकार कर ली गई है और 48 डॉक्टरों के ट्रांसफर को रद्द कर दिया गया है।

स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के ट्रांसफर मामले में गड़बड़ी का मुद्दा खुद मंत्री ब्रजेश पाठक ने उठाया था। इस मामले को लेकर डिप्टी सीएम और विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद आमने-सामने आ गए। अपर मुख्य सचिव के खिलाफ एक मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा तो उस मामले में जांच के आदेश तक आ गए। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्रांसफर विवाद सामने आने के साथ ही तीन आईएएस की एक जांच कमेटी गठित कर दी थी। जांच रिपोर्ट सामने आई है तो ट्रांसफर में गड़बड़ी का मामला भी सामने आ गया। इसके आधार पर अब ट्रांसफर आदेश को बदला जा रहा है।

विशेष सचिव ने जारी किया नया आदेश
स्वास्थ्य विभाग में विशेष सचिव डॉ. मन्नान अख्तर के स्तर से शनिवार को जारी हुआ आदेश इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें कहा गया है कि गड़बड़ी को ध्यान में रखते हुए 48 डॉक्टरों के ट्रांसफर को निरस्त कर दिया गया है। यूपी के स्वास्थ्य विभाग में 313 डॉक्टरों के तबादले किए गए थे। विभाग के स्तर से जारी आदेश में माना गया है कि ट्रांसफर लिस्ट जारी किए जाने में गलती हुई है।

विशेष सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि ट्रांसफर में गलती से लेवल-एक डॉक्टरों की सूची में लेवल-दो और लेवल-तीन को शामिल कर लिया गया था। लेबल 2 और लेबल 3 के आयुष और डेंटल डॉक्टर को लेकर यह आदेश आया है। नए आदेश में कहा गया है कि 313 डॉक्टरों के ट्रांसफर आर्डर में से इन 48 डॉक्टर्स के स्थानांतरण आदेश को निरस्त किया जा रहा है।

मामले में डिप्टी सीएम ने अपनाया था सख्त रुख
स्वास्थ्य विभाग की ओर से ट्रांसफर में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद विभागीय मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कड़ा रुख अपनाया था। उन्होंने इस मामले में पहले अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी मांगी। डिप्टी सीएम ने ट्रांसफर लिस्ट की पूरी फाइल तलब की। डिप्टी सीएम का पत्र सार्वजनिक होने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने तीन सीनियर आईएएस मुख्य सचिव डीएस मिश्र, अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी और संजय भूसरेड्‌डी की कमिटी बनाई। कमिटी ने स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर की समीक्षा की। इसमें गड़बड़ी का मामला सामने आया।

ट्रांसफर पॉलिसी के पालन न होने का आरोप
डिप्टी सीएम ने 30 जून को विभागीय ट्रांसफर में नियमों के पालन न किए जाने का भी मामला उठाया था। इसके बाद मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच मनमुटाव चर्चा का विषय बन गया था। दरअसल, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की ओर से 30 जून को लेवल 1 के 313 डॉक्टरों की सूची जारी की। इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत सामने आई। जांच के बाद लेवल 1 के 48 डॉक्टरों के ट्रांसफर आदेश निरस्त कर दिए गए हैं। वहीं, अभी तक लेवल 4 के डॉक्टरों के ट्रांसफर पर विभाग की ओर से कोई आदेश नहीं आया है।

26 दिन बाद पीछे हटा विभाग
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने 30 जून को ही ट्रांसफर पर सवाल खड़ा किया और अपर मुख्य सचिव को चिट्‌ठी लिखी। लेकिन, इसे नजरअंदाज किया गया। मामला 4 जुलाई को गहराया, जब डिप्टी सीएम का पत्र सार्वजनिक हो गया। लेटर बम में प्रयागराज के उस डॉक्टर के ट्रांसफर का भी जिक्र किया गया था, जिनकी 13 दिन पहले मृत्यु हुई थी। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि डॉक्टर के परिजनों से मुलाकात करने स्वयं डिप्टी सीएम उनके घर गए हुए थे। लेटर बम फटते ही जांच शुरू हुई और 26 दिन बाद यानी 30 जुलाई को इस मामले में विभाग ने अपनी गलती मान ली।