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आजादी के बाद पहली बार लोहा ग्राम में लगा स्वास्थ्य शिविर :: 12 किलोमीटर पैदल चलकर पहाड़ी पार कर पहुंचा स्वास्थ्य अमला

छत्तीसगढ़ सरकार की विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीतियों के चलते मैदानी इलाकों के साथ-साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में भी लोगों को बुनियादी सुविधाएं सुलभ होने लगी है। बस्तर अंचल में यह बदलाव साफ दिखाई देने लगी है। दंतेवाड़ा जिले के सुदूर वनांचल के गांवों में भी विकास एवं निर्माण कार्यों के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य का दायरा तेजी से बढ़ रहा है।   प्रशासन का अमला अंदरूनी क्षेत्रों तक पहुंचकर अंतिम व्यक्ति तक विभागीय योजनाओं के लाभ को पहुंचाने में जुटा है। दंतेवाड़ा जिले के पहुंचविहीन गांव लोहा में 21 जून को स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा हेल्थ कैम्प लगाकर लोगों को स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार किया गया। कुंआकोण्डा विकासखंड के ग्राम लोहा में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की 25 सदस्यीय टीम 12 किलोमीटर पैदल चलकर पहाड़ियों को पार कर पहुंची थी।

लोहा गांव के लोग अपने गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंचने पर खुशी जाहिर की और हेल्थ कैम्प में पहुंचकर ग्रामीणों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया।  टीम के द्वारा लोगों को इलाज के साथ-साथ निःशुल्क दवाएं दी गई। लोहा गांव में बारिश के मौसम को देखते हुए गांव में डिपो होल्डर के माध्यम से दवाईयों का भंडारण किया गया, ताकि किसी प्रकार की आपातकालीन समस्या होने पर गांव के लोगों को वहां से दवाई मिल पाए। हेल्थ कैम्प में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत सभी ग्रामीणों से मलेरिया की जांच की गई।

लोहा ग्राम की जनसंख्या मात्र 125 है। हेल्थ कैम्प में 104 ग्रामीणों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कर उपचार कराया। मलेरिया जांच में 11 मरीज पॉजिटिव पाए गए, वहीं 14 लोगों में मोतियाबिंद और 3 बच्चों में कुपोषण की समस्या मिली। सभी रोग पीड़ितों को आवश्यकतानुसार दवा दी गई। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इन गांवों में ग्रामीणों को विभाग की योजनाओं से अवगत कराया गया। विभाग के द्वारा बीते एक वर्ष से लगातार ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाएं एवं विभाग की अन्य योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।