केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत में गेहूं की कोई कमी नहीं थी, लेकिन केंद्र ने अनाज की “बड़े पैमाने पर” विदेशी बिक्री को रोकने के लिए इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
गुरुवार को यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए तोमर ने कहा कि बाजार में संतुलन बनाए रखना सरकार का कर्तव्य है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए देश का हित सबसे पहले आता है। और इसलिए देश में गेहूं की कोई कमी नहीं थी। बाजार में संतुलन बनाए रखना सरकार का कर्तव्य है। इसलिए, हमने खाद्यान्न के बड़े पैमाने पर निर्यात को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाया है। हमें देश की मांग पूरी करनी है।’
14 मई को, अनाज के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक, भारत ने बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के एक हिस्से के रूप में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, जो कि चिलचिलाती गर्मी से उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच था।
विदेशों से भारतीय गेहूं की बेहतर मांग के कारण भारत का गेहूं निर्यात 2021-22 में 2.05 बिलियन अमरीकी डालर मूल्य के 70 लाख टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा। कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत बांग्लादेश को जाता है।
तोमर ने कहा कि भारत को अपने पड़ोसियों की खाद्यान्न जरूरतों का भी ध्यान रखना होगा।
“हमारे पड़ोसी देश हम पर निर्भर हैं। दुनिया के कई देशों को खाद्यान्न की जरूरत है और वे भारत की ओर देख रहे हैं। हमारे पड़ोसी देशों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।”
मंत्री ने कहा, “इन सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए, हमने अपने खाते (स्टॉक) की जांच करके (निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का) निर्णय लिया है।”
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