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बच्चों को टेक्नोलॉजी के जोखिम से बचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण की हाइब्रिड प्रणाली विकसित

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी शिक्षा क्षेत्र को काफी महत्व देते हैं । इसी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने 7 मई को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि एनईपी 2020 के लॉन्च होने के बाद के दो वर्षों में नीति के तहत निर्धारित पहुंच, सहभागिता, समावेशन और गुणवत्ता के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अनेक पहल की गई हैं। स्कूली बच्चों का पता लगाने और उन्हें मुख्य धारा में वापस लाने के विशेष प्रयासों से लेकर उच्च शिक्षा में मल्टीप्ल एंट्री एंड एग्जिट की शुरुआत तक, कई परिवर्तनकारी सुधार शुरू किए गए हैं जो देश की प्रगति को परिभाषित और सुनिश्चित करेंगे, क्योंकि हम ‘अमृतकाल’ में प्रवेश करते हैं।

समीक्षा बैठक में उन्हें बताया गया कि राष्ट्रीय संचालन समिति के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने का कार्य प्रगति पर है। विद्यालय शिक्षा में, शिक्षण के बेहतर परिणामों और बच्चों के समग्र विकास के लिए, बालवाटिका में गुणवत्तापूर्ण शुरुआती बचपन देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई), निपुन भारत, विद्या प्रवेश, परीक्षा सुधार और कला से जुड़ी शिक्षा, खिलौना-आधारित शिक्षाशास्त्र जैसे अभिनव शिक्षण पहलों को अपनाया जा रहा है। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों को तकनीक के अत्यधिक जोखिम से बचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण की एक हाइब्रिड प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आंगनबाडी केन्द्रों द्वारा अनुरक्षित डेटाबेस को स्कूल डेटाबेस के साथ निर्बाध रूप से जोड़ना चाहिए क्योंकि बच्चे आंगनबाडी से स्कूलों में जाते हैं। स्कूलों में तकनीक की मदद से बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच और स्क्रीनिंग की जानी चाहिए। छात्रों में वैचारिक कौशल विकसित करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित खिलौनों के उपयोग पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विज्ञान प्रयोगशालाओं वाले माध्यमिक विद्यालयों को मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अपने क्षेत्र के किसानों के साथ मिट्टी की जांच के लिए जुड़ना चाहिए।

बैठक में प्रधानमंत्री को बताया गया कि लचीलेपन और आजीवन शिक्षण के लिए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट के दिशा-निर्देशों के साथ-साथ डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म पर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट लॉन्च करने से अब छात्रों को उनकी सुविधा और पसंद के अनुसार अध्ययन करना संभव हो जाएगा। आजीवन शिक्षण के लिए नई संभावनाएं पैदा करने और शिक्षार्थियों में महत्वपूर्ण और अंतःविषय सोच को मुख्य रूप से शामिल करने के लिए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिशा-निर्देश प्रकाशित किए हैं, जिसके अनुसार छात्र एक साथ दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को पूरा कर सकते हैं। राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता कार्यक्रम (एनएचईक्यूएफ) भी तैयारी के एक उन्नत चरण में है। यूजीसी एनएचईक्यूएफ से तालमेल रखते हुए मौजूदा “पाठ्यचर्या की रूपरेखा और स्नातक कार्यक्रम के लिए क्रेडिट सिस्टम” को संशोधित कर रहा है।

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