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Editorial: अरुणाचल की आधारभूत संरचना से निर्मित होगा अजेय भारत, चीन पर बनेगा दबाव

26-10-2021

जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, वो पूर्वोत्तर के विकास पर जोर दे रहे हैं जो काफी समय से लंबित था। उनकी ‘एक्ट ईस्टÓ नीति फल दे रही है और पूर्वोत्तर के लोगों द्वारा इसकी काफी प्रशंसा भी की जा रही है। सड़कों, पुलों और हवाई अड्डों ने पूर्वोत्तर के राज्यों को शेष भारत और राजधानी दिल्ली से काफी अच्छी तरह से जोड़ा है। हालांकि, अजीब बात यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, और मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने पूर्वोत्तर में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई इन विकास परियोजनाओं को छोटा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पीएम मोदी ने जो पूर्वोत्तर के विकास की रफ्तार को नई सफलता प्रदान की है उससे तो अब पूवोत्तर आने वाले दिनों में भारत का तेजी से विकसित भाग कहलायेगा साथ ही चीन जो बार-बार अरूणाचलप्रदेश को अपना बताने का कुचक्र करता रहा है अब चीन को इस मुद्दे पर कुटनीतिक हार का सामना करना पड़ेगा।
दरअसल, देश का पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ अपनी सबसे लंबी सीमा साझा करता है, उसके बाद म्यांमार और भूटान का स्थान आता है। केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में 1,100 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास को मंजूरी दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इसमें 598 किलोमीटर लंबी सड़कें और 18 फुट के ट्रैक का निर्माण शामिल है। अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर परियोजनाएं अरुणाचल के उत्तर और पूर्वोत्तर हिस्से में चीन की सीमा से लगे क्षेत्रों में निर्धारित की गई है।
गौरतलब है कि युद्ध की अवस्था में तीव्रता का बड़ा महत्व है। अगर आप तेज है तो आप शत्रु पर भारी पड़ेंगे ये निश्चित है। 1962 के युद्ध के हार का भी मुख्य कारण यही था। अगर आपके सेना के पास सैन्य संसाधन रसद और सुगम व्यवस्था ना हो तो पराजय अपरिहार्य हो जाती है। भारतीय सेना को अगर गुणवत्ता पूर्ण संसाधन मिले तो यह सेना दुनिया की किसी महाशक्ति को पराजित कर भारतीय हितों की सुरक्षा करने में समर्थ है। मोदी सरकार ने इस चीज के पहचान लिया है और तीव्रता से इसके निराकरण की ओर बढ़ रही है। राष्ट्रहित के इस पुनीत कार्य में सरकार की अप्रत्याशित प्रगति प्रशंसनीय है।