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AAP का ‘फ्री बिजली’ वाला मास्टर प्लान, क्या UP की जनता को लुभा पाएगा ‘केजरीवाल मॉडल’

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लखनऊ
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों ने अपने दांव चलना शुरू कर दिया है। एक ओर जहां पूरा विपक्ष अपने-अपने तरीके से ब्राह्मण वोटों को साधने में लगा है, वहीं सूबे में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी आम आदमी पार्टी ने बड़ी घोषणा की है। गुरुवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने लखनऊ में कहा कि यूपी में AAP की सरकार बनते ही घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 300 यूनिट बिजली फ्री कर दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को भी बिजली मुफ्त दी जाएगी और बकाया बिजली बिल माफ किए जाएंगे। इसके साथ ही सिसोदिया ने कहा कि सरकार बनने के बाद बिना पावर कट के 24 घण्टे बिजली आपूर्ति की जाएगी।

दिल्ली की सरकार का आधार बने केजरीवाल मॉडल को यूपी में लागू करने का वादा करने वाली आम आदमी पार्टी के इन वादों पर जनता कितना यकीन करेगी, ये तो चुनाव के नतीजे बताएंगे। लेकिन यूपी की राजनीति को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि सूबे की जनता केजरीवाल मॉडल पर भरोसा नहीं कर पाएगी। यूपी की राजनीति को काफी करीब से कवर कर चुके वरिष्ठ पत्रकार बिश्वजीत भट्टाचार्य कहते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार लोगों को फ्री बिजली दे तो रही है, लेकिन उसका लाभ सीमित वर्ग को ही हो रहा है। यूपी में ये दांव इसलिए फेल हो सकता है क्योंकि यूपी-बिहार की जनता राजनीतिक तौर पर काफी परिपक्व मानी जाती है।

‘राजनीति में शुचिता लाने का वादा भूली आप’
भट्टाचार्य ने कहा, ‘फ्री की चीज सभी को अच्छी लगती है लेकिन यूपी की जनता की सोच थोड़ी सी अलग है। यूपी की जनता ये जानती है कि कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता, इधर कुछ फ्री मिलेगा तो दूसरी तरफ से उसका खर्च निकाला जाएगा।’ यूपी में आम आदमी पार्टी की राजनीति को लेकर बिश्वजीत कहते हैं कि AAP जब राजनीति करने आई थी तो सबसे पहले राजनीतिक शुचिता की बात की थी, लेकिन दिल्ली में जिस तरह से दंगे भड़काने में उनके नेताओं का नाम आया, जिस तरह से जातिगत बयान उनके नेता दे रहे हैं, ये सब जनता देख रही है और वो समझती भी है, और इसका नुकसान यूपी में आप को जरूर होगा।

‘सिर्फ वोट काटेगी AAP’
यूपी के एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडे ने कहा कि यूपी में जनता ने बीते साढ़े चार सालों का काम देखा है। उन्होंने कहा, ‘इसमें दो राय नहीं कि आम आदमी पार्टी कुछ वोट तो ले ही जाएगी, लेकिन हकीकत में वो सिर्फ वोट काट सकती है, सरकार नहीं बना सकती। केजरीवाल की पार्टी जातीय-धार्मिक समीकरण साधेगी तो उसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को होगा। यूपी में जिस तरह से ओवैसी समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट काटेगी, उसी तरह से AAP भी प्रत्याशी के हिसाब से बहुत छोटी संख्या में कुछ वोट काटेगी। वह किंगमेकर की भूमिका में भी नहीं आ पाएगी।’