ख़बर सुनेंमेरठ में डेंगू का हमला तेज होता जा रहा है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिले में मंगलवार को 28 नए मरीज मिले। अब तक 122 मिल चुके हैं। इनमें 75 सक्रिय मरीज हैं, जबकि 47 ठीक हो चुके हैं।
नए मरीज मलियाना, रोहटा रोड, परीक्षितगढ़, लल्लापुरा, रजबन और जयभीमनगर आदि के रहने वाले हैं। इन स्थानों पर मलेरिया विभाग ने एंटी लार्वा स्प्रे और फॉगिंग कराई है। दूसरी तरफ जिला मलेरिया विभाग की टीम को घर-घर किए जा रहे सर्वे अभियान में अनूपनगर, गंगानगर, रोहटा रोड, नंगला शेखू और ब्रह्मपुरी में लार्वा मिले हैं। यहां 16 लोगों को नोटिस दिए गए हैं।
चेतावनी दी गई है कि एक सप्ताह के भीतर फिर से निरीक्षण किया जाएगा, अगर दोबारा लार्वा मिला तो जुर्माना लगाया जाएगा। यहां कूलर और गमलों आदि में लार्वा मिला। जिला मलेरिया अधिकारी सत्यप्रकाश ने बताया कि नियमानुसार अगर दोबारा निरीक्षण के दौरान पानी भरा हुआ और उसमें लार्वा मिलता है तो नगर निगम पांच से पांच हजार रुपये तक जुर्माना वसूल सकता है। तीसरी बार निरीक्षण में ऐसा मिलने पर एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है।
5637 सैंपलों की जांच, कोरोना का एक मरीज मिला
मंगलवार को 5637 सैम्पलों की जांच हुई। इनमें कोरोना का एक मरीज मिला। सक्रिय केस दो हैं। दोनों होम आइसोलेशन में हैं। अब तक 66010 लोगों को कोरोना की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 65167 की छुट्टी हो चुकी है। वहीं, ब्लैक फंगस के अब तक कुल 348 मरीज मिल चुके हैं। 321 लोगों की छुट्टी हो चुकी है।
राहत: कोरोना की तीसरी लहर की आशंका घटी
मेरठ में जिस तरह से सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी, वह मेरठ में कम होती नजर आ रही है। पिछले 13 दिन में 64777 लोगों की जांच में सिर्फ दो लोगों को कोरोना की पुष्टि हुई है।
जो दो मरीज मिले हैं उन्हें 5 सितंबर और 7 सितंबर को कोरोना की पुष्टि हुई है। वहीं, मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी लैब के प्रभारी डॉक्टर अमित गर्ग का कहना है कि बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। इसके अलावा काफी लोग कोरोना संक्रमित हुए थे, जिस कारण उनमें एंटीबॉडी बन गई है।
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मेरठ में स्क्रब टाइफस का पहला मरीज मिला
मेरठ जिले में स्क्रब टाइफस बीमारी भी पैर पसार रही है। कैली गांव निवासी एक महिला में इसकी पुष्टि हुई है। मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान ने बताया कि इसकी जांच महिला ने गाजियाबाद में कराई थी, वहीं इसकी पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य उनकी निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि स्क्रब टाइफस मुख्य रूप से माइट्स (घुन जैसे छोटे कीट) के काटने के कारण होने वाली बीमारी है।
समय पर उपचार न मिले तो खतरा बढ़ जाता है। यह ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में भी इसकी जांच शुरू होगी। इसकी किट आ गई है। इसके अलावा लेप्टोस्पाइरा रोग की जांच भी शुरू होगी। यह जीवाणु रोग है जो संक्रमित पशु के मूत्र से मैले हुए पानी, मिट्टी या भोजन सीधे संपर्क में आने से हो सकता है। इसमें तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, लाल आंखें और उल्टी आना लक्षण हैं। इस तरह बुखार की अलग-अलग कैटेगिरी में जांच की जा सकेगी।
यह हैं स्क्रब टाइफस के लक्षण
रोगियों में बुखार और ठंड लगने के साथ सिरदर्द, शरीर और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है। जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है वहां त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और पपड़ी पड़ जाती है। कुछ लोगो को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं।
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