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अनदेखी: न तेज हुई कैंची की धार और न ही चमके आभूषण, कोरोना महामारी के बाद से मेरठ में अटके दस प्रोजेक्ट

सार
प्रदेश सरकार ने परंपरागत उद्योगों के लिए एमएसएमई की ओर से क्लस्टर डेवलेपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इस योजना को तीन साल पहले गति देने का प्रयास शुरू किया गया लेकिन फाइलें केवल अलमारियों में दबकर रह गईं। ऐसे में न तो कैंची की धार तेज हो सकी और न ही मेरठ के आभूषण बाजार की चमक बढ़ पाई। 

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उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 10 परंपरागत उद्योगों को रफ्तार देने के लिए करीब एक दशक पहले केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के तहत तेजी से काम तो शुरू हुआ, लेकिन कोविड के बाद से इस रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। परंपरागत उद्योगों के लिए एमएसएमई की ओर से क्लस्टर डेवलेपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी।

वहीं, केंद्र सरकार की एमएसईसीडीपी (मीडियम एंड स्मॉल एंटरप्राइज क्लस्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम) और प्रदेश की ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) के तहत उद्योगों को विकसित किया जाना था। तीन वर्ष पूर्व उद्योगों को गति देने का प्रयास शुरू किया गया, लेकिन अब योजनाओं से जुड़ी फाइलें उद्योग निदेशक से लेकर प्रमुख सचिव स्तर तक अटकी हुई हैं। ऐसे हालात में न तो कैंची की धार तेज हो सकी और न ही उम्मीद के अनुरूप आभूषणों की चमक बढ़ पाई।

बाधा के साथ बढ़ी नियमों की अड़चन
कामन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) बनाकर चमड़ा, स्पोर्ट्स, ज्वैलरी, मेटल क्राफ्ट, बैंडबाजा, ग्लास वुडन वीड्स, एंब्राइडरी और खद्दर टेक्साइजल को आगे बढ़ाने, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना था। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से उद्योगों को गति दी जानी थी। अब सीएफसी के लिए एमडीए और जिला पंचायत ने नक्शा पास कराने की अनिवार्यता कर दी है। ऐसे में प्रक्रिया और मानकों को पूरा करने का खर्च बढ़कर 30 प्रतिशत पहुंच गया है।

यह भी पढ़ें : बिटिया के कत्ल का खुला राज: दुष्कर्म में विफल होने पर नशेड़ी युवक ने दिया था वारदात को अंजाम, शरीर पर मिले थे नाखून के निशान

ये है प्रक्रिया

कएक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट उपायुक्त को एसपीवी के द्वारा दिया जाता है।
कइंस्पेक्शन के बाद फाइल सरकार के पास भेजी जाती है।
कउद्योग निदेशक प्रिंसिंपल अप्रूवल देते हैं और कॉमन फैसिलिटी सेंटर के लिए जगह की जरूरत देखी जाती है।
कप्रमुख सचिव के आदेश के बाद एमएसएमई में फाइल चली जाती है।

कोविड के कारण दिक्कतें आई हैं। चमड़ा, स्पोर्ट्स, खद्दर टेक्सटाइल, ज्वैलरी जैसे उद्योगों पर काम शुरू हुआ है। क्लस्टर विकसित होने से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। – डॉ. संजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, संयुक्त लघु उद्योग क्लस्टर विकास समिति

यह भी पढ़ें: यूपी: टिकट के दावेदारों पर भाजपा विधायक संगीत सोम का तंज, वीडियो हुआ वायरल
 
जिले में क्लस्टर की प्रगति का हाल
क्लस्टर        जगह        स्थिति
चमड़ा             जानी             डीपीआर जमा, स्टेट लेवल 
                                                 कमेटी द्वारा होना हैं इंस्पेक्शन
स्पोर्ट्स        ———               स्टेट लेवल स्टेयरिंग कमेटी 
                                       में प्रमुख सचिव द्वारा स्वीकृति का इंतजार
ज्वेलरी        सराफा बाजार    सिडबी से पैसा आने का इंतजार
मेटल क्राफ्ट        ———-        डिटेल स्टडी रिपोर्ट भेजी
बैंडबाजा        ————    एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट
ग्लास वुड वीड्स        हर्रा        डीएसआर रिपोर्ट भेजी गई
एंब्राइडरी        —        एसपीवी में समस्या
खद्दर टेक्सटाइल        सरधना          वित्तीय व्यवस्था की चल रही तैयारी
कैंची        लोहियानगर        प्रोजेक्ट पर काम जारी

हर दिन टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है। ऐसे में कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाने में अधिकतम एक से दो माह का समय लगना चाहिए। मगर कई साल से क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम पाइपलाइन में है। सिर्फ कैंची का क्लस्टर बना है। – आशुतोष अग्रवाल, सचिव, चेंबर फार डेवलपमेंट एंड प्रमोशन ऑफ एमएसएमई

विस्तार

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 10 परंपरागत उद्योगों को रफ्तार देने के लिए करीब एक दशक पहले केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के तहत तेजी से काम तो शुरू हुआ, लेकिन कोविड के बाद से इस रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। परंपरागत उद्योगों के लिए एमएसएमई की ओर से क्लस्टर डेवलेपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी।

वहीं, केंद्र सरकार की एमएसईसीडीपी (मीडियम एंड स्मॉल एंटरप्राइज क्लस्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम) और प्रदेश की ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) के तहत उद्योगों को विकसित किया जाना था। तीन वर्ष पूर्व उद्योगों को गति देने का प्रयास शुरू किया गया, लेकिन अब योजनाओं से जुड़ी फाइलें उद्योग निदेशक से लेकर प्रमुख सचिव स्तर तक अटकी हुई हैं। ऐसे हालात में न तो कैंची की धार तेज हो सकी और न ही उम्मीद के अनुरूप आभूषणों की चमक बढ़ पाई।

बाधा के साथ बढ़ी नियमों की अड़चन

कामन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) बनाकर चमड़ा, स्पोर्ट्स, ज्वैलरी, मेटल क्राफ्ट, बैंडबाजा, ग्लास वुडन वीड्स, एंब्राइडरी और खद्दर टेक्साइजल को आगे बढ़ाने, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना था। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से उद्योगों को गति दी जानी थी। अब सीएफसी के लिए एमडीए और जिला पंचायत ने नक्शा पास कराने की अनिवार्यता कर दी है। ऐसे में प्रक्रिया और मानकों को पूरा करने का खर्च बढ़कर 30 प्रतिशत पहुंच गया है।

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ये है प्रक्रिया

कएक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट उपायुक्त को एसपीवी के द्वारा दिया जाता है।
कइंस्पेक्शन के बाद फाइल सरकार के पास भेजी जाती है।
कउद्योग निदेशक प्रिंसिंपल अप्रूवल देते हैं और कॉमन फैसिलिटी सेंटर के लिए जगह की जरूरत देखी जाती है।
कप्रमुख सचिव के आदेश के बाद एमएसएमई में फाइल चली जाती है।

कोविड के कारण दिक्कतें आई हैं। चमड़ा, स्पोर्ट्स, खद्दर टेक्सटाइल, ज्वैलरी जैसे उद्योगों पर काम शुरू हुआ है। क्लस्टर विकसित होने से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। – डॉ. संजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, संयुक्त लघु उद्योग क्लस्टर विकास समिति

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जिले में क्लस्टर की प्रगति का हाल
क्लस्टर        जगह        स्थिति
चमड़ा             जानी             डीपीआर जमा, स्टेट लेवल 
                                                 कमेटी द्वारा होना हैं इंस्पेक्शन
स्पोर्ट्स        ———               स्टेट लेवल स्टेयरिंग कमेटी 
                                       में प्रमुख सचिव द्वारा स्वीकृति का इंतजार
ज्वेलरी        सराफा बाजार    सिडबी से पैसा आने का इंतजार
मेटल क्राफ्ट        ———-        डिटेल स्टडी रिपोर्ट भेजी
बैंडबाजा        ————    एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट
ग्लास वुड वीड्स        हर्रा        डीएसआर रिपोर्ट भेजी गई
एंब्राइडरी        —        एसपीवी में समस्या
खद्दर टेक्सटाइल        सरधना          वित्तीय व्यवस्था की चल रही तैयारी
कैंची        लोहियानगर        प्रोजेक्ट पर काम जारी

हर दिन टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है। ऐसे में कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाने में अधिकतम एक से दो माह का समय लगना चाहिए। मगर कई साल से क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम पाइपलाइन में है। सिर्फ कैंची का क्लस्टर बना है। – आशुतोष अग्रवाल, सचिव, चेंबर फार डेवलपमेंट एंड प्रमोशन ऑफ एमएसएमई