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मुजफ्फरनगर छात्रवृत्ति घोटाले का ‘जिन्न’ फिर आया बोतल से बाहर, घोटाले की जांच को तीसरी बार गठित की गई एसआईटी

मिर्जा गुलजार बेग, मुजफ्फरनगर
मुजफ्फरनगर में फर्जी स्कूलों और उनमें फजीर्वाडा करते हुए छात्र संख्या के आधार पर छात्रवृत्ति हड़पने के लिए किये गये घोटाले में 12 साल के बाद फिर से नई करवट महसूस की जा रही है। उस समय उन्होंने करीब 100 करोड़ रुपये का घोटाला होने की बात कही थी। शुक्रवार को इस मामले में शासन द्वारा गठित एसआईटी ने जिला मुख्यालय पहुंचकर जांच पड़ताल की और समाज कल्याण विभाग से पुराने रिकार्ड तलब किये। तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह राही ने इसका खुलासा किया था।

समाज कल्याण अधिकारी पर हुआ था जानलेवा हमला
छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा करने वाले तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह राही पर आर्य समाज रोड पर 26 मार्च 2009 को पूर्व प्लानिंग आफिस में स्थित आफिसर्स कालोनी में उस समय हमला कर दिया था, जब वह बैडमिंटन खेल रहे थे। बाइक से आए दो युवकों ने गोली मारकर घायल कर दिया था। गोली लगने से उनका जबड़ा और एक आंख खराब हो गई थी। उनके भाई दिनेश राही ने मामले में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में न्यायालय ने फरवरी 2021 को अशोक कश्यप सहायक लेखाकार समाज कल्याण विभाग, प्रहलाद, अमित छोकर, बाबी उर्फ पंकज को रिंकू सिंह राही पर जानलेवा हमला का दोषी करार देते हुए धारा 307 व धारा 34 के तहत दस-दस वर्ष का सश्रम कारावास और 20-20 हजार रुपया जुर्माने की सजा सुनाई थी।

रिन्कू राही ने उठाये थे घोटाले की जांच पर सवाल
रिन्कू राही पर हमले का फैसला आने पर रिंकू राही ने कहा था कि छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा करने पर उन पर हमला किया गया था, उसकी जांच गंभीरता से नहीं की गई। जांच कमेटियों ने उन्हें बयान देने के लिए भी नहीं बुलाया। सही से घोटाले की जांच होती तो यह 100 करोड़ रुपये भी अधिक का घोटाला निकलता। इसके बाद शासन ने इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया, जो नये सिरे से जांच कर रही है।

जांच करने लखनऊ से पहुंची एसआईटी टीम
एसआईटी में एसपी देवरंजन वर्मा शुक्रवार को एक इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर और तीन सिपाहयों के साथ जांच करने के लिए लखनऊ ये यहां पहुंचे। उन्होंने विकास भवन स्थित जिला समाज कल्याण विभाग कार्यालय में जाकर समाज कल्याण अधिकारी जीआर प्रजापति से मुलाकात की और जांच पड़ताल शुरू कर दी। समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने साल 2004 से लेकर 2009 तक छात्रवृत्ति योजना से जुड़ी पत्रावलियों को तलब किया। इसके साथ ही स्कूलों को भुगतान किये गये धन का पुराना रिकार्ड भी मांगा है। रिकार्ड के कुछ दस्तावेज एसआईटी के अफसर अपने साथ भी ले गये हैं। पुराने कर्मचारियों के बारे भी जानकारी हासिल की।

दो बार पहले भी हो चुकी है जांच
छात्रवृत्ति घोटाले की शासन स्तर से पहले भी दो बार जांच कमेटी गठित करते हुए जांच कराई जा चुकी है। पहली कमेटी मेरठ की संयुक्त निदेशक समाज कल्याण अलका टंडन की अध्यक्षता में बनाई गई, इस समिति ने 20 करोड़ रुपये का घोटाला होने की रिपोर्ट शासन को दी थी। उनकी रिपोर्ट से शासन संतुष्ट नहीं हुआ और इसके बाद मेरठ मंडल के तत्कालीन मंडलायुक्त मृत्युंजय नारायण की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। इस कमेटी ने दो वर्षों तक जांच की और अपनी रिपोर्ट में 50 करोड़ रुपये का घोटाला मानते हुए शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। अब इस घोटाले के लिए तीसरी बार जांच की जा रही है। जांच के लिए इस बार एसआईटी गठित की गई है।