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आंदोलनकारी किसान है या गुंडे ?

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13 june 2021
दिल्ली सीमा पर जारी तथाकथित ‘किसान’ आंदोलन में फर्जी किसानों, असामाजिक तत्वों और गुंडों का जमावड़ा है। इसलिए यह आंदोलन अपने नए-नए कारनामों से हमेशा चर्चा में रहता है। दिल्ली में उपद्रव से लेकर महिलाओं से दुष्कर्म तक के मामले समाने आते रहे हैं। फिर सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों पर हमले का मामला सामने आया है। इस हमले में दोनों पुलिसकर्मियों को गंभीर रूप से चोटें आई हैं। इस मामले में नरेला पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 10 जून को पानीपत से प्रदर्शनकारियों का जत्था दिल्ली आ रहा था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के दो असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर सिंघु बॉर्डर पर लगे किसानों के पंडाल में गए थे। पुलिसकर्मी जब वहां फोटो खींचने लगे तो एक महिला अपने दो-तीन साथियों के साथ आई और उन्हें रोकने लगी। महिला ने चिल्लाकर कहा कि ये देखो हमारा फोटो, वीडियो वायरल कर रहे हैं।

दोनों पुलिसकर्मी सादी वर्दी में मौजूद थे। दोनों ने अपना परिचय देते हुए आईडी कार्ड भी दिखाया। इस पर महिला ने कहा कि ये लोग सरकार के हैं, हमारी जासूसी कर रहे हैं। चलो इनको सबक सिखाते हैं। इस बीच महिला के साथ आए एक शख्स ने पुलिसकर्मियों को जान से मारने की धमकी भी दी।फिर प्रदर्शनकारियों ने दोनों पुलिसकर्मियों को घेर लिया और गाली-गलौज करने लगे। इस बीच विवाद बढ़ गया और प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया।

इस मामले में भारतीय किसान यूनियन के नेता व राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपनी सफाई दी है। टिकैत ने कहा, “वो (पुलिसकर्मी) सिविल ड्रेस में होंगे, किसानों को लगा होगा कि चैनल के लोग हैं और हमें गलत तरह से दिखाते हैं। हमारे लोग मारपीट नहीं करते। पुलिस और सरकार तो चाहती है कि हम किसानों के साथ पंगेबाजी करें।”

राकेश टिकैत चाहे कितने भी सफाई दे, लेकिन आंदोलन में जिस तरह असामाजिक और देशविरोधी कार्य हो रहे हैं, उससे कहा जा सकता है कि आंदोलनकारी किसान नहीं गुंडे हैं, जो आंदोलन की आड़ में गुंडागर्दी और अय्याशी कर रहे हैं। टिकरी बॉर्डर पर दो लड़कियों का शारीरिक उत्पीड़न हो चुका है। हाल ही मे पंजाब की रहने वाली एक लड़की ने शारीरिक उत्पीड़िन आरोप लगाया। इससे पहले पश्चिम बंगाल की एक लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था। बाद में पीड़ित लड़की की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई थी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘किसानों’ के विरोध को करीब 200 दिन हो गए हैं। ‘किसानों’ ने आंदोलन को तेज करने के लिए देश भर के राजभवनों के सामने 26 जून को प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक नेता ने शुक्रवार को कहा, “26 जून को किसानों का विरोध प्रदर्शन होगा और काले झंडे दिखाए जाएंगे। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी भेजा जाएगा।”

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