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बीजापुर कांड के बाद हेड कांस्टेबल ने नक्सलियों से पूछे 14 सवाल

बीजापुर जिले में नक्सलियों के साथ युद्ध में वीर सपूतों की शहादत के बाद नारायणपुर जिले के पुलिस लाइन में पदस्थ हेड कांस्टेबल एचपी जोशी ने नक्सलियों से 14 सवाल किया है। हेड कांस्टेबल के द्वारा नक्सलियों से क्रूरता हत्या और मृत्यु का रास्ता छोड़कर नक्सली लीडरों की बहकावे को छोड़कर अच्छा जीवन का विकल्प चुनने की अपील की गई है।

पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर के आम नागरिक अधिकारी जनप्रतिनिधि मंत्री और जज बनकर लोकतंत्र में भागीदार बनकर सिस्टम में सुधार के जनक बनने की बात कही है। हेड कांस्टेबल के द्वारा लिखा गया लेख नईदुनिया को मिला है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि ‘लोकतंत्र में हथियार उठाना कायरता की मिसाल है’ नक्सलियों के शीर्ष लीडर नाम बदलकर अरबपति का जीवन जीते हैं और इनके बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं जबकि आम जनता को गुमराह करके ये इनका शोषण करते हैं। जिन्हें सरकार में होना चाहिए उन्हें ही सरकार के खिलाफ नक्सली बना देते हैं, इतने दुष्ट हैं शीर्ष नक्सली लीडर।

वास्तव में नक्सली कायर और बुझदिल हैं, जो जवानों को षड्यंत्र से शहादत को मजबूर करते हैं। है हिम्मत तो वापस आएं, आत्मसमर्पण करें फिर लोकतंत्र में भागीदार बनकर सिस्टम में सुधार के जनक बनें। नक्सलवाद के समर्थकों का सदैव आरोप रहता है कि सरकारी तंत्र उन्हें उपेक्षित रखता हैं उन्हें समुचित संवैधानिक अधिकार नहीं देता तो यह झूठ है। क्योंकि संविधान में सरकार का दायित्व निर्धारित कर दिया गया है कि सभी सरकार देश के सभी नागरिकों को उनके अधिकारों को प्रदान करे। इसके लिए बाकायदा न्यायालय और मानव अधिकार आयोग भी है जो नागरिकों के सभी अधिकार को समान रूप से संरक्षित करते हैं, यदि नक्सलियों को समस्या है तो आम जनता की भांति न्यायालय की शरण में आएं, मगर उन्हें तो झूठ में जीवन जीना है लोगों को लूटना है।