मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने साइंस एंड टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग होगा : मंत्री श्री सखलेचा


मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने साइंस एंड टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग होगा : मंत्री श्री सखलेचा


आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश में एमएसएमई सेक्टर के लिए सीएसआईआर की टेक्नोलॉजी के उपयोग पर केंद्रित वेबिनार में बोले एमएसएमई मंत्री 


भोपाल : सोमवार, मार्च 8, 2021, 18:27 IST

सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा है कि मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने के लिए विज्ञान एवं तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की टेक्नोलॉजी का विकास एक उपलब्धि है, लेकिन यह उपलब्धि तब तक अधूरी जब-तक इसका योगदान लोगों की भलाई और देश की अर्थ-व्यवस्था में न हो। श्री सखलेचा सोमवार को मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकॉस्ट) द्वारा आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश में एमएसएमई सेक्टर के लिए सीएसआईआर की टेक्नोलॉजी के उपयोग पर केंद्रित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।श्री सखलेचा ने कहा कि वेबिनार को एमएसएमई, साइंस एंड टेक्नोलॉजी एवं युवा उद्यमियों की नेटवर्किंग का प्लेटफॉर्म बताते हुए कहा कि प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में उद्यमिता की अनंत संभावनाएँ हैं। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए हर जिले में नई गतिविधि को प्रारंभ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वेबिनार में सीएसआईआर ने 100 से ज्यादा ऐसी टेक्नोलॉजी की जानकारी दी है, जिनका उपयोग करके एमएसएमई सेक्टर का विस्तार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, खजुराहो और बैतूल में फर्नीचर कलस्टर विकसित करने जा रही है। फर्नीचर कलस्टर में यदि सीएसआईआर की लैब आती है, तो उद्यमियों को इसका फायदा मिलेगा।मंत्री श्री सखलेचा ने बताया कि के विभाग के पास 100 से अधिक लोगों के आग्रह आएँ है, जो औषधीय पौधों और खेती पर काम करना चाहते हैं। सीएसआईआर की तकनीकें इसमें बेहद उपयोगी साबित होंगी। उन्होंने कहा कि नीमच और मंदसौर में इस दिशा में काम हो सकता है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर ने केले के रेशे पर काम किया है। मध्यप्रदेश के बुरहानुपर में केला बड़ी मात्रा में हो रहा है, वहाँ इसका उपयोग किया जाए।श्री सखलेचा ने कहा कि मध्यप्रदेश एक ऐसा आदर्श राज्य है, जहाँ इन टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया जा सकता है। वेबिनार के दौरान उन्होंने मैपकॉस्ट के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सीएसआरईआर के साथ लाँग टर्म एसोसिएशन किया जाए तथा उनके द्वारा विकसित टेक्नोलॉजी का प्रदेश में किस तरह उपयोग किया जा सकता है, इस पर अलग से विस्तृत चर्चा की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि सीएसआईआर की एमएसमएई सेक्टर के विकास के लिए सीएसआईआर की टेक्नोलॉजी की जानकारी सभी जिलों के जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों को भेजी जाए ताकि इनका अधिकतम इस्तेमाल हो सके।इससे पहले काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक तथा साइंस कम्युनिकेशन एंड डिसेमिनेशन की विभागाध्यक्ष डॉ. गीतावाणी रसायम तथा टेक्नोलॉजी डवलपमेंट डायरेक्टोरेट की विभागाध्यक्ष डॉ. विभाष मल्होत्रा सावहने ने सीएसआईआर द्वारा एमएसएमई सेक्टर के विकास के लिए विकसित अनेक टेक्नोलॉजी, पहलों और कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी अपने प्रजेंटेशन में दी। डॉ. गीता वाणी रसायम ने बताया कि सीएसआईआर की टेक्नोलॉजी सोसायटी के लिए हैं। आत्म-निर्भर भारत बनाने के लिए शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है। एमएसएमई सेक्टर में साइंस एंड टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया जा रहा है। डॉ. मल्होत्रा सावहने ने सीएसआईआर इनोवेशन एंड आरएंडडी के कोर एरिया में काम करने के साथ-साथ स्किल के क्षेत्र में भी काम कर रहा है। उन्होंने उद्यमिता को प्रोत्साहित और सहायता करने वाली पहलों और कार्यक्रमों की जानकारी दी। मैपकॉस्ट के महानिदेशक श्री अनिल कोठारी ने भी वेबिनार को संबोधित किया।


राजेश बैन