रायपुर। मनरेगा लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही लगातार उनकी आजीविका का संवर्धन भी कर रहा है। मनरेगा के जरिए निजी डबरियों, तालाबों और कुंओं के निर्माण से सिंचाई की व्यवस्था हो जाने से छोटे व सीमांत किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता खुल रहा है। अब वे केवल धान की खेती तक सीमित नहीं हैं। रबी फसलों और सब्जी की पैदावार के साथ ही यह मछली पालन जैसे नए रोजगार का विकल्प भी खोल रहा है। डबरियों, तालाबों और कुंओं के निर्माण से आजीविका संवर्धन के साथ ही निस्तारी के लिए भी पानी मिल रहा है
।साढ़े तीन एकड़ कृषि भूमि के मालिक समयलाल बताते हैं कि पहले सिंचाई और पेयजल दोनों का गंभीर संकट था। घर से दूर पानी का एकमात्र साधन हैंडपंप था। इससे वे पेयजल की व्यवस्था तो कर लेते, पर निस्तारी के लिए परेशान होना पड़ता। गर्मियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती थी। उनकी बाड़ी के पास एक छोटी सी पुरानी ढोड़ी थी, पर वह भी बरसात के बाद ठंड आते-आते सूखने लगती। मनरेगा के अंतर्गत तीन वर्ष पहले खेत में कुएं की खुदाई के बाद उनकी ये समस्याएं अब दूर हो गई हैं।
अब उनके पास निस्तारी और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है। कुएं ने उन्हें न केवल रोज-रोज की पानी की दिक्कतों से निजात दिला दी है, बल्कि धान के बाद गेहूं और सब्जियों की खेती का रास्ता भी खोल दिया है।
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